प्रख्यात कवयित्री डॉ. रश्मि रेखा नहीं रहीं, शोक की लहर
प्रख्यात कवयित्री डॉ. रश्मि रेखा का शुक्रवार देर रात रामबाग स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उक्त रक्तचाप के कारण ब्रेन हेमरेज हुआ और उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया।
मुजफ्फरपुर। प्रख्यात कवयित्री डॉ. रश्मि रेखा का शुक्रवार देर रात रामबाग स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उक्त रक्तचाप के कारण ब्रेन हेमरेज हुआ और उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया। 64 वर्षीया डॉ. रेखा के निधन की खबर मिलते ही साहित्यकारों व कवियों में शोक की लहर दौड़ गई। 28 नवंबर को उनके पुत्र की शादी थी। घर में उत्सवी माहौल था। वह अपने पीछे पति डॉ. अवधेश कुमार, पुत्र डॉ. संकेत व पुत्री डॉ. प्राची समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। समकालीन कविता की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. रश्मि आलोचना के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती थीं। एमडीडीएम कॉलेज की प्राचार्य डॉ. ममता रानी उनके निधन की खबर सुनते ही सन्न रह गई। कहा कि यह उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है।
एमडीडीएम कॉलेज में बीसीए विभाग में बतौर रिसोर्स पर्सन हिदी की कक्षा लेती थीं। शहर के ही चोखानी कॉलेज में हिदी की गेस्ट लेक्चरर भी थीं। एलएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. ओपी राय, हिदी की शिक्षक डॉ. पूनम सिंह, डॉ. सतीश कुमार राय अनजान, रमेश ऋतंभर, पंकज कर्ण, डॉ. सुषमा भारती, जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी प्रभात कुमार आदि ने गहरी संवेदना प्रकट की है। वरिष्ठ कवि व साहित्यकार डॉ. संकज पंकज ने कहा कि कविता संग्रह 'सीढि़यों का दुख' काफी चर्चित रहा। उनके लेखन के लिए बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने महादेवी वर्मा सम्मान से पुरस्कृत किया था। इन्होंने जानेमाने कवि ध्रुव गुप्त की पत्रिका 'संभवा' के कई अंकों का भी संपादन किया था। तार सप्तक के प्रमुख कवि मदन वात्स्यायन की पुस्तक का संपादन किया। आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के नजदीकी डॉ. दुर्गा प्रसाद की पुत्री थीं और शास्त्री जी के कहने पर निराला निकेतन में ही एक भूखंड लेकर अपना आवास बना लिया था।