Valmikinagar Tiger Reserve : कर्नाटक से यहां लाया गया हाथी इस वजह से हुआ जख्मी, वन प्रशासन में हड़कंप

Valmikinagar Tiger Reserve फिसल कर गिरने से घायल हुआ हाथी। दांत सूंड के आर-पार। फिलहाल खतरे से बाहर। डॉक्टर कर रहे उपचार।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 02:36 PM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 02:36 PM (IST)
Valmikinagar Tiger Reserve : कर्नाटक से यहां लाया गया हाथी इस वजह से हुआ जख्मी, वन प्रशासन में हड़कंप
Valmikinagar Tiger Reserve : कर्नाटक से यहां लाया गया हाथी इस वजह से हुआ जख्मी, वन प्रशासन में हड़कंप

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में कर्नाटक से लाए गए चार हाथियों में से एक राजा हाथी बुधवार को फ़िसल कर गिरने से घायल हो गया । वाल्मीकि नगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि कालेश्वर हाथी शाला से गंडक नदी में स्नान करने जाते समय राजा हाथी फ़िसल कर गिर गया । जिससे उसका दांत सूंड में आर.पार हो गया है । घायल हाथी का इलाज जारी है। उसकी देखभाल में स्थानीय डॉक्टर लगे हैं । उसकी हालत में सुधार है।

उधार के चिकित्सक के भरोसे वीटीआर के जानवर

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों का आपात स्थिति में इलाज करने के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण वन्यजीवों का हेल्थ चेकअप भी प्रभावित हो रहा है। दुर्घटना में घायल होने पर टाइगर रिजर्व के वनकर्मियों को वन्यजीवों के इलाज के लिए पशु चिकित्सकों की तलाश करनी पड़ती हैं। वन्यजीव की मौत होने पर शव का पोस्टमार्टम करवाने में वनकर्मियों को वाल्मीकि नगर के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मदद लेनी पड़ती है। परेशानी प्रथम व दूसरे श्रेणी के वन्यजीवों का पोस्टमार्टम करवाने में आती है। इसके लिए कम से कम तीन चिकित्सक होना जरूरी है।

वीटीआर चिकित्सक विहीन

हालांकि कुछ दिनों के लिए वीटीआर में हाथियों की देखभाल के लिए एक चिकित्सक को प्रतिनियुक्त किया गया था । लेकिन चिकित्सक के अन्यत्र जाॅब मिल जाने के कारण वीटीआर चिकित्सक विहीन हो गया है । इस बाबत वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि आपात स्थिति में उन्हें घायल वन्यजीवों को इलाज करवाने या मौत होने पर शव के पोस्टमार्टम के लिए पशु चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ती है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के लिए स्पेशल डॉक्टर होना जरूरी है।

पशु चिकित्सक की ली जाती है मदद

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की स्थापना से लेकर अभी तक स्थायी सुविधाओें की व्यवस्था नहीं हो सकी है। फिलहाल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन्य जीव उधार के चिकित्सक के भरोसे है । अगर कोई जंगली जानवर घायल हो जाएए तो पशुपालन विभाग के चिकित्सक की मदद ली जाती है। हालांकि वन महकमा टाइगर रिजर्व में पशु चिकित्सक की शीघ्र व्यवस्था कराने का दावा कर रहा है ।

वाहन की व्यवस्था नहीं

जानकारों की मानें तो बिहार के इकलौते टाईगर रिजर्व में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस वाहन की व्यवस्था होनी चाहिए । जो मौके पर तुरंत पहुंच सके।टाइगर रिजर्व में पशु अस्पताल,टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की तैनाती,बाघ को ट्रेंक्युलाइज करने का वाहन,ट्रेंक्युलाइज करने की प्रशिक्षित टीम,टाइगर रिजर्व में स्थायी रूप से हाथियों की देखभाल की व्यवस्था आदि सुविधाए अनिवार्य है । 

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