बेतिया में डिजिटल संस्कार अभियान से बुजुर्गों को मिल रहा सुकून और बच्चों काे सुंदर व्यक्तित्व

आरएसएस के प्रचार विभाग के प्रशांत सौरभ ने बताया कि हाल के दिनों में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण बच्चे धार्मिक मान्यताओं से अलग- थलग हो रहे हैं। इस वजह से उनमें भारतीय संस्कृति का क्षरण भी हो रहा है। इसको दूर करने के लिए अभियान है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 01:21 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 01:21 PM (IST)
बेतिया में डिजिटल संस्कार अभियान से बुजुर्गों को मिल रहा सुकून और बच्चों काे सुंदर व्यक्तित्व
प्रतिदिन सोने से पहले चल रहा हनुमान चालीसा और गायत्री का पाठ।

बेतिया, जासं। बच्चों में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव व धार्मिक मान्यताओं से बढ़ी दूरी को कम करने के लिए आरएसएस के प्रचार विभाग ने एक अनोखे अभियान की शुरूआत की है। नाम दिया है कि डिजिटल संस्कार अभियान। दस दिन पहले आरंभ इस अभियान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक इस अभियान से जिले के 700 परिवार जुड़ चुके हैं। देश के अन्य प्रांतों से भी लोग इस अभियान से कनेक्ट हो रहे हैं। डिजिटल संस्कार अभियान में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन रात में सोने से पहले हनुमान चालीसा, गायत्री या किसी वैदिक मंत्र का उच्चारण करना है। इससे संबंधित तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर अपलोड भी करना है। ताकि अधिक से अधिक लोगों तक इसका फैलाव हो। आरएसएस के प्रचार विभाग के प्रशांत सौरभ ने बताया कि हाल के दिनों में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण बच्चे धार्मिक मान्यताओं से अलग- थलग हो रहे हैं। इस वजह से उनमें भारतीय संस्कृति का क्षरण भी हो रहा है। इसको दूर करने के लिए अभियान का शुभारंभ किया गया है। यह अनवरत चलता रहेगा। इसमें इंटरनेट मीडिया को जोड़ने के पीछे भी एक उद्देश्य है। हाल के दिनों में इंटरनेट मीडिया पर भी नकारत्मकता का प्रभाव बढ़ा है। इस डिजिटल अभियान से उसमें भी कमी आएगी। उन्होंने बताया कि बचपन की बातों से प्रेरणा मिली जब सोते समय घर के बड़े बुजुर्ग भगवान का नाम लेकर सोने को कहते थे। हनुमान चालीसा या कोई श्लोक पढ़ के बच्चों को सुलाया जाता था, इससे उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति अच्छे भाव रहते थे। साथ ही बच्चों में संस्कार बना रहता था। इन सब बातों को लेकर डिजिटल संस्कार अभियान को प्रारंभ करने की योजना बनी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कुटुंब प्रबोधन प्रमुख दिवाकर राय ने बताया कि इस योजना के माध्यम से प्रतिदिन सोने से पूर्व बच्चे भगवान का स्मरण करते हैं साथ ही उनके पुत्र और पुत्री प्रसून और प्रज्ञा रामायण का अध्ययन भी करते हैं। बेतिया के जाने-माने शिक्षक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान से जुड़कर बच्चे काफी उत्साहित हैं और प्रतिदिन सोने से पहले खुद ही इंटरनेटर मीडिया पर लाइव होकर भगवान का भजन करते हैं। विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री रमन गुप्ता ने बताया कि इस योजना की चर्चा सुनकर बड़ा अच्छा लगा और विहिप परिवार ने यह तय किया कि इसमें भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बच्चे भी इस अभियान से जुड़े हैं।

कैसे होता है क्रियान्वयन

संस्कृत के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले बगहा के देव निरंजन दीक्षित बताते हैं इस अभियान से जुड़ना बड़ा आसान है। प्रतिदिन रात को सोने से पूर्व इंटरनेट मीडिया पर लाइव करके कोई भी श्लोक पढ़ना होता है और इस अभियान के लिए पहले से तय हैशटैग #डिजिटलसंस्कारअभियान का प्रयोग करके उस वीडियो को पोस्ट करना होता है। बता दें कि देव निरंजन दीक्षित के दो छोटे बच्चे शिवांश और रुद्रांश भी प्रतिदिन इस अभियान में भाग लेते हैं और वेद मंत्रों का पाठ करके सहभागी होते हैं।

कई शहरों के लोगों की है सहभागिता

बेतिया से शुरू हुए इस अभियान में केवल बेतिया ही नहीं बल्कि कई शहरों के लोगों ने अपनी अच्छी सहभागिता दिखाई है। मधुबनी के राममोहन राय, रामनाथ कुमार, जिबछ सिंह, सीतामढ़ी से राकेश कुमार, त्रिपुरा से सौरभ चंदा, पुणे से प्रवीण तिवारी, चित्तौड़ के कमल गोस्वामी, अहमदाबाद के हर्षित देसाई, पंजाब से केशव कुमार समेत ऐसे कई नाम है जो इस अभियान में सहयोग कर रहे हैं।

बच्चे हैं उत्साहित

बेतिया निवासी जाने-माने शिक्षक मनोज श्रीवास्तव, विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री रमन गुप्ता बेतिया में रहने वाली जाने वाली शिक्षिका शुभ लक्ष्मी महाराज, इंदुभूषण झा, शिक्षक राजेश राज कश्यप, दीपक बरनवाल, जाने-माने साहित्यकार दिवाकर राय, बगहा के देवनिरंजन दीक्षित के अलावा बेतिया के युवा अभिषेक पटेल, किशन श्रीवास्तव गांधी श्रीवास्तव, भास्कर द्विवेदी भावेश कुमार, आदित्य कुमार, अशोक कुमार, प्रियांशु वर्मा आदि बताते हैं कि इस अभियान से वे काफी उत्साहित हैं। प्रतिदिन के रूटीन में शामिल हो गई है। प्रशांत सौरभ ने कहा कि यह अभियान लोगों का ही है, बस योजना उनके मन में आई थी इसलिए उन्होंने लोगों के बीच इसे रखा और लोग इसमें काफी बढ़-चढ़कर सहयोग भी कर रहे हैं। 

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