East Champaran: अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु के पूजन से पूरी होती सारी मनोकामनाएं, जानिए कब व कैसे करें व्रत

East Champaran इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का भी विधान है साथ ही आंवले के वृक्ष के पूजन का है खास महत्व। वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। दान-पुण्य अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर करने का अधिक लाभ होता है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 12:42 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 12:42 PM (IST)
East Champaran: अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु के पूजन से पूरी होती सारी मनोकामनाएं, जानिए कब व कैसे करें व्रत
पूर्वी चंपारण में भगवान विष्णु के पूजन की चल रही तैयारी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), जासं। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी, आंवला नवमी के नाम से प्रचलित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस वर्ष शनिवार 13 नवंबर को यह मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आवंले के पेड़ पर निवास करते हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का भी विधान है।

आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है। जिसका क्षय न हो उसी को अक्षय नवमी कहते हैं। आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसमें पूर्वाह्न व्यापनि तिथि ली जाती है।

इस दिन क्या करें

आंवले के वृक्ष के नीचे पूरब दिशा में बैठकर पूजन कर उसकी जड़ में दूध देना चाहिए। इसके बाद अक्षत,पुष्प, चंदन से पूजा-अर्चना कर और पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर, बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करनी चाहिए तथा इसकी कथा सुनना चाहिए। फिर भगवान विष्णु का ध्यान एवं पूजन करना चाहिए।

पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान आदि का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं।कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव पर ब्राह्मण भोज भी कराते है। इस दिन महिलाएं किसी ऐसे गार्डन में जहां आंवले का वृक्ष हो, वहां जाकर वे पूजन करने बाद वहीं प्रसाद ग्रहण करती हैं।

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