मुजफ्फरपुर के कटरा में बाढ़ के दौरान नाव ही होती आवागमन का सहारा

बसघटृा डायवर्सन पर साल के छह महीने तक नाव चलानी पड़ती है। बाढ़ का जलस्तर कम होने के बाद भी यहां नाव का ही सहारा लेना पड़ता है। बागमती बांध बन जाने के बाद बांध के अंदर भूभाग में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 08:46 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 08:46 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के कटरा में बाढ़ के दौरान नाव ही होती आवागमन का सहारा
जलस्तर में कमी के बावजूद बसघटृा, चंगेल, तेहवारा, बंधपुरा, कोयलामन में अब भी चल रही नाव। फोटो- जागरण

कटरा (मुजफ्फरपुर), संस : बाढ़ के दिनों में प्रखंड का बड़ा भूभाग जलप्लावित हो जाता है। बांध और सड़कें टूट जाती हैं। ऐसे में आवागमन का एकमात्र सहारा नाव रह जाती है। इसबार भी जलस्तर में कमी के बावजूद कई स्थानों में नाव ही एकमात्र साधन है। बसघटृा, चंगेल, तेहवारा, बंधपुरा, कोयलामन आदि जगहों में अब भी नाव चल रही है। नाव में क्षमता से अधिक लोगों के सवार होने से कई बार दुर्घटना हो चुकी है जिसमें लोगों को जान भी गंवानी पड़ी। बसघटृा डायवर्सन पर साल के छह महीने तक नाव चलानी पड़ती है। बाढ़ का जलस्तर कम होने के बाद भी यहां नाव का ही सहारा लेना पड़ता है। बागमती बांध बन जाने के बाद बांध के अंदर भूभाग में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। इस पानी के सूखने में कई महीने लग जाते हैं। इसके लिए स्लूस गेट का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन अब तक बना नहीं है जिससे डायवर्सन पर पानी का बहना जारी है। राह से गुजरने वालेे पहले चढऩे के चक्कर में नाव पर सवार होते जाते हैं। यात्रियों की संख्या क्षमता से अधिक होने पर भी लोग इंतजार नहीं करना चाहते। वहीं नाविक भी मनमानी पर उतर आता है और अधिकतम कमाई के लिए क्षमता से अधिक यात्री चढ़ा लेता है जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

बागमती नदी पर पीपा पुल बनने के पहले इसी तरह ओवरलोडिंग के कारण एक बार नाव डूब गई जिसमें तीन लोग काल कलवित हो गए। नाविक बिकाऊ सहनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन, घटना के बाद ऐसे फरार हुआ कि आज तक घर नहीं लौटा। यजुआर पश्चिम के कोयलामन में भी नाव चलती है। चंगेल पंचायत के धोबौली के पास लीलजा जलधारा में भी नाव चलती है। यहां बाढ के बाद लोग जनसहयोग से चचरी बनाकर आवागमन चालू रखते हैं। लेकिन हर साल रखरखाव के अभाव में चचरी ध्वस्त हो जाता है और बाढ़ के समय नाव का सहारा रह जाता है। डुमरी-खंगुरा मार्ग में शाखो के पास सड़क टूटने से दो स्थानों पर नाव चल रही है। जलस्तर कम होने के बाद ही सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। इधर, सीओ पारसनाथ राय का कहना है कि बाढ़ के समय नाव परिचालन के लिए प्रशिक्षित नाविकों की ही सेवा लेने का प्रावधान है। उन्हें क्षमता के अनुकूल ही यात्री सवार करने की हिदायत दी जाती है। छोटी और बड़ी नाव के अनुसार मानक तैयार किया जाता है। निर्देश का उल्लंघन करने पर संविदा रद कर दी जाती है। अगर निहित स्वार्थ को लेकर क्षमता से अधिक सवार चढ़ाता है और दुर्घटना होती है तो नाविक को जिम्मेवार मानते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रावधान है। इन बातों की जानकारी नाविकों को दे दी गई है। कुछ निजी नाविक बिना इजाजत पैसे उगाही के लिए भी नाव चलाते हैं। इस संबंध में शिकायत मिलने पर नियमानुकूल कार्रवाई की जाएगी। 

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