पूर्वी चंपारण के इस प्रखंड में पुल नहीं रहने से नाव पर डोल रही इस पंचायत के लोगों की जिंदगी

पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया प्रखंड अंतर्गत रोहिनिया पंचायत के लोग आवागमन में भारी परेशानी झेल रहे। पुल नहीं रहने से नाव ही आने-जाने का एकमात्र सहारा रह गया है। आज भी यहां के लोग एक पुल के लिए तरस रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 01:23 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 01:23 PM (IST)
पूर्वी चंपारण के इस प्रखंड में पुल नहीं रहने से नाव पर डोल रही इस पंचायत के लोगों की जिंदगी
इस नाव से एक बार में मात्र 8-10 व्यक्ति ही पार कर पाते हैं।

पूर्वी चंपारण, अमृत राज। एक अदद पुल का जिंदगी को रफ्तार देने में क्या महत्व है पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया प्रखंड अंतर्गत रोहिनिया पंचायत की हजारों की आबादी का सूरत-ए-हाल देखकर आप समझ सकते हैं। यहां एक अदद पुल की कमी से लोगों की जिंदगी नाव पर डोल रही है। आज भी यहां के लोग एक पुल के लिए तरस रहे हैं।

हमेशा खतरा मंडराता रहता

रोहिनिया पंचायत के विकास की रफ्तार में मात्र एक पुल निर्माण का रोड़ा समस्याओं का पहाड़ बन गया है। ग्रामीणों को इलाज करने जाना हो तो नाव पार कर जाना पड़ता है। या फिर मोतिहारी शहर में बाजार जाना हो तो नाव से पार कर जाते हैं। इस नाव से एक बार में मात्र 8-10 व्यक्ति ही पार कर पाते हैं। इसी नाव पर बाइक, साइकिल के साथ लोग भी पार करते हैं। हमेशा खतरा मंडराता रहता है।

ग्रामीणों ने आपसी चंदा कर बनवाई नाव

इस रास्ते पर अबतक पुल का निर्माण नहीं हुआ है। यहां एक नाव है जिसे ग्रामीणों ने आपसी चंदा कर बनवाया है। यदि इनको अपने गांव से दूसरे गांव में जाना हो तो भी नाव का ही सहारा लेना पड़ता है। इतना ही नहीं इस ग्रामीणों को पशु चारा लाने के लिए नाव से पार कर जाना पड़ता है।

प्रशासन ने ध्यान नहींं दिया

पंचायत समिति सदस्य जयप्रकाश यादव का कहना है कि आज तक कभी इस पुल को निर्माण करने का प्रयास नहीं किया गया है। इस समस्या पर अबतक प्रशासन ने ध्यान नहींं दिया है। ग्रामीण इसको लेकर कई बार आवाज उठा चुके हैं। अपनी लिखित शिकायत भी दर्ज करा चुके हैं। लेकिन सुनवाई नहीं हुई है।

पुल के निर्माण की आस में पीढ़ियां गुजर गईं

इस पंचायत में आध दर्जन गांव और आठ हज़ार से अधिक परिवार है। अब यहां के लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शांति देवी का कहना है कि शादी के बाद इस गांव आई, उसी समय से यहां पुल निर्माण की मांग उठती देख रही हैं। ग्रामीण महंत मुखिया, ओसिलाल मुखिया सिकंदर पासवान, अवध यादव एवं अन्य लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण की आस में पीढ़ियां गुजर गईं। लेकिन अब तक उनका सपना साकार नहीं हुआ है। पुल नहीं होने से जिला मुख्यालय जाने में 200 रुपये खर्च हो जाते हैं जबकि यहां पुल बन जाने से 20 रुपये ही खर्च हेांगे। पुल बन जाने से सेमरिया, झिटकहिया, चिंताहा चिचरोहिया सुखीपथ सहित आसपास के कई गांव लाभान्वित होंगे। 

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