East Champaran: छोटी मछली को सूखाकर करते हैं स्टॉक, असम, बंगाल में करते हैं सेल, कमाई चार से पांच लाख प्रतिवर्ष

East Champaran News छोटी मछलियों को थोक भाव में खरीद उसे सूखाकर अन्य प्रदेशों में भेजने का प्रचलन भवानीपुर के मछली व्यवसायी मोतीलाल सहनी ईजाद करके प्रत्येक वर्ष चार से पांच लाख की आमदनी करने में जुटे हैं।

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 04:36 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 04:36 PM (IST)
East Champaran: छोटी मछली को सूखाकर करते हैं स्टॉक, असम, बंगाल में करते हैं सेल, कमाई चार से पांच लाख प्रतिवर्ष
सूखी मछली को रोजगार सृजन का माध्यम बना समृद्धि की बनाई राह।

संग्रामपुर (पूचं) [उमेश गिरी]। छोटी मछलियों को थोक भाव में खरीद उसे सूखाकर अन्य प्रदेशों में भेजने का प्रचलन भवानीपुर के मछली व्यवसायी मोतीलाल सहनी ईजाद करके प्रत्येक वर्ष चार से पांच लाख की आमदनी करने में जुटे हैं। जिनके इस कारोबार को देखकर कई मछुआरा समुदाय के लोग भी इस व्यवसाय से जुडऩे लगे हैं। छोटी मछली जैसे पोठिया, पतसा, चालहवा, धवही जैसी मछली को थोक भाव में खरीद कर उसे सूखाकर स्टॉक करके असम, बंगाल आदि जगहों पर बेचा जाता है। इसको सुखाने के भी एक अजीब तरीका हैं, इसके लिए बांस से पतली पतली कमानी निकाल कर उसकी बुनाई करके चिल्वज का निर्माण किया जाता हैं। जिसको बांस के खंभों पर टांगकर उस पर गेहूं व धान की पथार तरह सुखाया जाता हैं। उसी पर सुखाया जाता हैं, ताकि उस पर चींटी नहीं चढ़े।

1976 से इस कारोबार से मोतीलाल हैं जुड़े 

50 वर्षीय मोतीलाल सहनी वर्ष 1976 से इस कारोबार से जुड़े हैं। पहले इसे छोटे स्तर पर करते थे। जिसमें उन्हें कई तरह का उतार चढ़ाव भी देखने को मिला। कई बार इन्हें मछली व्यवसाय में मुंह की भी खानी पड़ी। उनका कहना है कि छोटी मछलियों को तीस से चालीस रुपये प्रति किलो की खरीदारी करते हैं और कड़ी धूप होने पर यह तीन से चार दिन में अच्छा से सूख जाता हैं। उसे बोरे में पैक करके सूखे स्थल पर रखा जाता साथ ही चींटी व चूहे के बचाव के लिए भी ध्यान रखना पड़ता हैं। जब माल स्टॉक हो जाता हैं तो उसे असम के जागीरोड सूखा मछली मार्केट या बंगाल के दमदम में भेजते हैं, जहां उनके लागत से बेहतर मूल्य मिल जाता है। उन्होंने बताया कि एक ङ्क्षक्वटल में कच्ची मछली सुखाने पर तीस से चालीस किलो माल तैयार होता हैं। अभी श्री सहनी चार एकड़ निजी व लगभग बीस एकड़ पोखरा लीज पर लेकर मछली व्यवसाय में जुटे हैं। कच्ची मछली उत्पादन के बावजूद वे सूखा मछली को ही मुख्य व्यवसाय बनाने में जुटे हैं, ताकि पूर्वी चंपारण को भी सूखी मछली का हब बनाया जा सके। वे खुद से बीस ङ्क्षक्वटल सूखी मछली तैयार करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की महामारी के चलते कच्ची मछली की बिक्री की उम्मीद कम हैं। इसलिए इस बार सूखी मछली ज्यादा बनने की उम्मीद उम्मीद हैं।

इस संबंध में उत्तरी भवानीपुर पंचायत की मुखिया निवेदिता कुमारी ने कहा कि सूखी मछली का हब बनाने में जुटे मोतीलाल को सरकारी सहायता की जरूरत है, ताकि कारोबार बढ़ सके।

वहीं  संग्रामपुर के प्रखंड कृषि पदाधिकारी नवल किशोर सिंह ने कहा कि मछली उत्पादन कृषि से जुड़ा कार्य हैं। इन्हे सरकारी सुविधा मिले इसके लिए विभाग को लिखा जाएगा।

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