सहजन की खेती न पैदावार, योजना कैसे चढ़ेगी परवान, शिवहर जिले के किसान हैं अनजान
Sheohar News सहजन की खेती से अनजान हैं इलाके के किसान धरातल का अवलोकन किए बगैर एक जिला एक उत्पाद के तहत शिवहर को सहजन के उत्पाद के लिए कर दिया गया चयनित किसानों को इसके संबंध में नहीं है जानकारी।
शिवहर, {नीरज}। 'एक जिला एक उत्पाद' के तहत शिवहर को सहजन के उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। यहां स्थिति यह है कि जिले में न तो सहजन के बहुत पेड़ हैं और न ही कोई किसान इसकी व्यापक पैमाने पर खेती करता है। जिले में गिनती के लगभग 200 पेड़ होंगे। ऐसे में इस योजना के तहत जिले में उत्पादन कैसे होगा, कहा नहीं जा सकता। फरवरी, 2021 में जिले को सहजन की खेती के लिए चयनित करने के बाद से यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी है। कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र शिवहर को संयुक्त रूप से सहजन की खेती व प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दी गई है।
इस योजना के तहत जिले में सहजन की खेती के अलावा खाद्य उत्पाद के प्रसंस्करण उद्योग के लिए सरकार वित्तीय, तकनीकी एवं कारोबारी सहायता उपलब्ध कराएगी। यह तब हो सकेगा, जब इसका उत्पादन होगा, लेकिन इसकी खेती के प्रति किसान जागरूक ही नहीं हैं। कृषि विभाग ने भी इसे बढ़ावा देने के लिए अब तक कुछ नहीं किया है। जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार राव मानते हैं कि जिले में सहजन का चयन ही गलत है। पिपराही के किसान शंभु ङ्क्षसह व हरि किशोर ङ्क्षसह बताते हैं कि इलाके में सहजन की खेती होती ही नही है। कुछ लोगों ने अपनी बाड़ी में खुद खाने के लिए जरूर लगा रखे है।
शिवहर के किसान जयकिशोर प्रसाद बताते हैं कि जिले में सहजन के सौ-दो सौ पेड़ भी नहीं है। उन्हें यह भी पता नहीं कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत जिले के लिए सहजन को चुना गया है। तरियानी के किसान अशर्फी महतो बताते हैं कि उन्हें सहजन की खेती की बाबत किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं। वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अजब लाल चौधरी बताते हैं कि इस योजना के तहत सहजन का चयन किया भी गया है तो इसके विकास पर काम होना चाहिए था। लेकिन यह चयन भी गलत है। उधर, उद्यान विभाग के अधिकारी शंभु नाथ साह बताते हैं कि वह इलाके में नए है। संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट लेने के बाद ही जानकारी दे सकते है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि जिले में सहजन की खेती का माहौल नहीं हैं। बहरहाल, किसानों व कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो यह स्पष्ट हो गया हैं कि जिन अधिकारियों या एजेंसी के जिम्मे फसल के चयन की जिम्मेदारी थी, उन्होंने धरातल का अवलोकन किए बगैर सहजन की खेती का चयन कर लिया।