मुजफ्फरपुर के बालूघाट ब्रह्मस्थान व धोबिया गली में पेयजल संकट, आपके यहां क्या हाल है?

नगर निगम के खिलाफ मुहल्लावासियों में आक्रोश। इन जगहों पर पिछले एक माह से पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है। निगम से शिकायत करने पर वाटर लेवल गिरने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है। नलों से कभी पानी आता है तो कभी नहीं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:11 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:11 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के बालूघाट ब्रह्मस्थान व धोबिया गली में पेयजल संकट, आपके यहां क्या हाल है?
पिछले एक सप्ताह से तो आपूर्ति पूरी तरह से बंद है।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। शहर के वार्ड 17 स्थित बालूघाट ब्रह्मस्थान व धोबिया गली मुहल्ले में पिछले एक माह से पेयजल संकटकी स्थिति बनी हुई है। लोगों को निगम से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि निगम से शिकायत करने पर वाटर लेबल गिरने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है। निगम के नलों से कभी पानी आता है तो कभी नहीं। पिछले एक सप्ताह से तो आपूर्ति पूरी तरह से बंद है। ऐसे में लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। इससे मुहल्लावासियों में आक्रोश है। वे कभी भी निगम के खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं।

वर्षा जल संचय हम सबकी जिम्मेदारी, मिलकर करना होगा प्रयास

मुजफ्फरपुर : शहरवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भू-गर्भ जल का लगातार दोहन हो रहा है। पीने के लिए संचित पानी का अन्य कार्यों में प्रयोग कर बर्बाद किया जा रहा है। इसके विपरीत हम भू-जल भंडार को रीचार्ज नहीं कर रहे हैं। वर्षा जल संचय को बने प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट करते जा रहा हैं। इसका परिणाम गर्मी की दस्तक के साथ ही दिखाई पडऩे लगा है। भू-जल स्तर में गिरावट से लोगों के घरों में लगे पंङ्क्षपग सेट एवं चापाकल कम पानी देने लगे है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी भू-जल स्तर में बड़ी गिरावट होगी और मोटर व चापाकल जवाब दे जाएंगे। इस विकट संकट से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि वर्षा जल का संचय किया जाए। इसके प्राकृतिक जल स्रोत पोखर, तालाब व कुओं को फिर से जीवित किया जाए। इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा। अपने-अपने घर में सोख्ता का निर्माण करना होगा। यह बातें शहर के बुद्धिजीवियों ने दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान से अपने को जोड़ते हुए कहीं।

वरिष्ठ नागरिक विमल किशोर उप्पल ने कहा कि भावी पीढ़ी को बचाने के लिए वर्षा जल संचय की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए हर किसी को आगे आना होगा। अपने-अपने घर में सोख्ता का निर्माण करना होगा। शिक्षक कौशल किशोर ने कहा कि शहर में पोखर-तालाब की कमी नहीं है। अभी दो दर्जन ऐसे पोखर व तालाब हैं जिनको जीवित कर दिया जाए तो वर्षा जल का संचय होगा और भू-जल रीचार्ज होगा। इससे शहरवासियों को जल संकट से राहत मिलेगी। वार्ड पार्षद राजीव कुमार पंकू ने कहा कि वर्षा जल संचय को अभियान चलाकर शहरवासियों को जागरूक करने की जरूरत है। शहर के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने को अनिवार्य करने का नियम बनाने की जरूरत है। समाजसेवी कविता साह ने कहा कि बेकार जमीन को पोखर-तालाब में तब्दील कर वर्षा जल संचय किया जा सकता है। पोखर का व्यावसायिक उपयोग भी हो सकता है। सरकार को इसके लिए कोई योजना बनानी चाहिए।

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