Darbhanga news: नहीं चाहिए हिचकोले देनेवाली सड़क, विकास के नाम का लगाएंगे ‘तिलक’

कुशेश्वरस्थान (अजा) विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव में मुद्दे पुराने नजरिया नया नेताओं के तूफानी दौरे के बीच खूब चल रहा चाय-पानी का दौर नहीं टूट रही खामोशी दरभंगा ज‍िले में उप चुनाव को लेकर प्रत‍िद‍िन पहुंच रहे नेता।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 04:00 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:00 PM (IST)
Darbhanga news: नहीं चाहिए हिचकोले देनेवाली सड़क, विकास के नाम का लगाएंगे ‘तिलक’
कुशेश्वरस्थान के पंचवटी में सड़क पर कायम जल-जमाव व कीचड़ के बीच से गुजरते नेताओं को देखती महिलाएं। जागरण

दरभंगा, {संजय कुमार उपाध्याय}। कुशेश्वरस्थान की लंबी और मुख्य सड़कें स्मूथ हैं तो कुछ हिचकोले भी देती हैं। दरभंगा से लेकर कुशेश्वरस्थान तक की करीब 60 किलोमीटर सड़क पूरी तरह से जर्कलेस है। दरभंगा से कुशेश्वरस्थान तक जाने में मात्र एक से सवा घंटे लगते हैं, लेकिन इसी सड़क के 54 वें किलोमीटर पर स्थित सतीघाट से राजघाट तक 12 किमी सड़क का हाल यह है कि इस पर चलिए हिचकोले खाइए और दर्द लेकर आइए। दरअसल साल दर साल इस सड़क को अधवारा समूह की नदियां तोड़ती हैं और मरम्मत होती है। फिर भी गड्ढ़ों के चलते इस पर गुजरना मुश्किल होता है।

एक बार फिर इस इलाके (कुशेश्वरस्थान अजा सीट पर) में विधानसभा उप चुनाव हो रहे हैं। पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं। चाय-पानी खूब चल रहा है। मतदाता सबकी सुन रहे। पर हैं खामोश। नजरिया नया है। पूछने पर कहते हैं कि विकास के नाम का तिलक लगाएंगे। किसी के कहने में नहीं आएंगे। जरा सा जोर दीजिए तो कहते हैं कि माफ करिए सबकुछ 30 अक्टूबर को तय हो जाएगा। अब जमाना बदल गया है। भले ही हम सालों से बाढ़ और बदहाल सड़क की पीड़ा सह रहे हैं, पर यह भी देखिए कि बदलाव कहां आया और हम कहां से कहां पहुंचे हैं।

विकास की बिगड़ी तस्वीर को बेहतर बनाने की जिद में एक बार फिर मतदाता जोर लगाने को तैयार हैं। खामोशी ऐसी है कि टूटने का नाम नहीं ले रही। सतीघाट चौक पर मिले उदय कुमार झा, बबलू कुमार झा कहते हैं- चुनाव कोई नई बात नहीं है। हमने तो कई चुनाव देखे। साथ-साथ विकास की बिगड़ी तस्वीर को सुंदरता प्राप्त करते देखा। इस सड़क को देख लीजिए- दरभंगा से कुशेश्वरस्थान तक चकचक है। वरना पहले जो आलम था, उसे हम सबने देखा है। झेला है।

इसी चौक से एक सड़क राजघाट के लिए निकली है। नाम है सतीघाट-राजघाट मार्ग। करीब बारह किलोमीटर लंबी इस सड़क से इस विधानसभा की सात से आठ पंचायतों का सीधा वास्ता है। सो, जन मन में उम्मीद है कि इस बार का चुनाव इस सड़क को नव जीवन दे जाएगा। सतीघाट से आगे पंचवटी में सड़क से होकर नेताओं की गाड़ियों का रेला निकल रहा था। सबकी स्पीड साइकिल से भी कम। सड़क के किनारे खड़ी महिलाएं गाड़ियों के अंदर बैठे लोगों को निहार रहीं थीं। मन ही मन हर्षित हो रहीं थी कि इस बार तस्वीर बदल जाएगी। मीना देवी की सुनिए- बाबू गड़ी जब इस सड़क से गुजरती है तो सड़क का कीचड़ हमारे दरवाजे पर आ जाता है। इससे न जाने कब मुक्ति मिलेगी। प्रमोद शर्मा और रामलखन यादव कहते हैं - इस स़ड़क से बड़गांव, हरौली, गोठानी, पटाही-झगरा समेत सात पंचायतों का सीधा वास्ता है।

समस्तीपुर के बिथान के कई इलाकों को इसका लाभ है। पर, इस सड़क की किस्मत ऐसी है कि हर बार यह बनती जरूर है,पर अधवारा समूह की नदियां इसे हर साल तोड़ जाती हैं। हमें हमारे अतीत और वर्तमान में फर्क समझ आता है। अब से दस साल पहले सड़क काफी बेहतर बनी फिर जब नदी ने तोड़ दिया तो उसके बाद से मरम्मत ही हो रही है। बड़गांव के उपेंद्र राय, रामजपो महतो व अखिलेंद्र कुमार सिंह कहते हैं- इलाके की मुख्य सड़कों का हाल तो बेहतर है। पर, ये जो सड़क है ....। सुना है- इसके निमार्ण को हरी झंडी मिल गई है। ये सारे लोग चुनाव और वोट की बात सुनते ही चुप हो जाते हैं। बहुत कुरेदने पर कहते हैं- जिसने हमारी चिंता की है। जिससे हमारे अंदर उम्मीद का संचार होगा और जो हमारी कसौटी पर खरा उतरेगा वोट उसी को करेंगे। इसमें किसी कंफ्यूजन की कोई जगह नहीं है। सड़क खराब है तो बनेगी, लेकिन एक बार का गलत फैसला लंबे वक्त तक दर्द देगा। इस बार भी विकास के नाम का ही तिलक लगाएंगे।

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