मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में रोस्टर बना इलाज में रोड़ा, डीएम करेंगे कार्रवाई

Muzaffarpur शहर के सदर अस्पताल में रोस्टर की वजह से मरीजों की परेशानी बढ़ गई। वहीं डॉक्टर भी परेशान हैं। बच्चों के डॉक्टर को बच्चा वार्ड की इमरजेंसी के बदले सामान्य इमरजेंसी में काम लिया जा रहा ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 03:18 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 03:18 PM (IST)
मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में रोस्टर बना इलाज में रोड़ा, डीएम करेंगे कार्रवाई
मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में मरीजों की बढ़ी परेशानी। जागरण
मुजफ्फरपुर { अमरेन्द्र तिवारी } । सदर अस्पताल में इन दिनों रोस्टर के चक्कर में चक्कर काटने लगे हैं मरीज। कौन डॉक्टर कब और कहां मिलेंगे इसकी सही जानकारी नहीं होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। बताते चलेंं कि सदर अस्पताल में रोस्टर का खेल चल रहा है।बच्चों के डॉक्टर को बच्चा वार्ड की इमरजेंसी के बदले सामान्य इमरजेंसी में काम लिया रहा। यह पूरा मामला जब जिलाधिकारी प्रणव कुमार के सामने आया तो हैरान रह गए। उन्होंने इसको गंभीरता से लेते हुए सदर अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा है। डीएम की कार्रवाई के बाद अस्पताल में खलबली मची है।
 पूरे मामले का इस तरह हुआ पर्दाफाश 
शिशु रोग विशेषज्ञ से उनके विभाग की इमरजेंसी के बदले जनरल इमरजेंसी कराया जा रहा है। इसके कारण एसएनसीयू, एनआरसी, पीआईसीयू में भर्ती बच्चों के इलाज में परेशानी हो रही है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर उनको संभालना मुश्किल है। सदर अस्पताल में सोमवार एईएस कंट्रोल रूम का उद़़घाटन करने पहुंचे जिलाधिकारी प्रणव कुमार। उनके सामने शिशु रोग विशेषज्ञ डा.एमएन कमाल ने अपनी पीड़ा रखी। उन्होंने कहा कि चार विशेषज्ञ चिकित्सक डाॅ.अभिषेक तिवारी, डाॅ.चिनमय, डाॅॅ.एमएन कमाल व डाॅ.नवीन कुमार की सेवा सदर अस्पताल को दी गई है। इनसे ओपीडी के बाद सीधे जनरल इमरजेंसी में सेवा ली जा रही है। जबकि सदर अस्पताल के कई चिकित्सक को जनरल ओपीडी से राहत दी गई है। डाॅ.कमाल ने बताया कि चार विशेषज्ञ चिकित्सक से शिशु इमरजेंसी में सेवा लेने से इलाज व्यवस्था मजबूत होगी। सभी का रोस्टर एसएनसीयू व पीआईसीयू व एनआरसी में होना चाहिए। अभी आपीडी दोपहर दो बजे बंद हो जाता है। इसके कारण दोपहर दो बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक भर्ती बच्चों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। तीन दिसम्बर 2020 को तत्कालीन सिविल सर्जन डा.एसपी सिंह का आदेश हुआ था कि शिशु विभाग को अलग किया जाए। उनके आदेश पर 24 दिसम्बर 2020 को रोस्टर बना लेकिन सुबह में आदेश निकला व शाम होते होते आर्डर निरस्त कर दिया गया। इसके बच्चों का इलाज प्रभावित हो रहा है। इस बीच 31 दिसम्बर को तत्कालीन सिविल सर्जन सेवानिवृत होकर चले गए। 
 अब डीएम खुद करेंगे समीक्षा  
 जिलाधिकारी प्रणव कुमार  गंभीर हुूए उन्होंने कहा कि वह खुद इसकी समीक्षा करेंगे। जब नए मातृ-शिशु सदन, पीआईसीयू व परिसर में एसएनसीयू व एनआरसी चल रहा तो उसके लिए अलग इमरजेंसी रोस्टर होना चाहिए। डीएम ने हिदायत दिया कि यहां पर महिला, शिशु व जनरल ओपीडी के लिए रोस्टर अलग-अलग होना चाहिए। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब पूर्व सिविल सर्जन ने नया रोस्टर लागू किया जो उसको क्यो पालन नहीं किया गया।
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