सुदूर गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि व कौशल विकास पर चर्चा

वैशाली जिले के महनार प्रखंड स्थित बघनोचा गांव में सरोज सेवा संस्थान के तृतीय वार्षिकोत्सव पर गुरुवार को कार्यक्रम में एनसीसी के अपर महानिदेशक बिहार-झारखंड एम इंद्रबालन पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:57 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:05 AM (IST)
सुदूर गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि व कौशल विकास पर चर्चा
सुदूर गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि व कौशल विकास पर चर्चा

मुजफ्फरपुर : वैशाली जिले के महनार प्रखंड स्थित बघनोचा गांव में सरोज सेवा संस्थान के तृतीय वार्षिकोत्सव पर गुरुवार को कार्यक्रम में एनसीसी के अपर महानिदेशक, बिहार-झारखंड, एम इंद्रबालन पहुंचे। सुदूर ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि एवं कौशल विकास पर परिचर्चा हुई। इस दौरान वेबिनार के माध्यम से देश-विदेश के कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए। कौन बनेगा करोड़पति के विजेता सुशील कुमार भी जुड़े। मेजर जनरल ने सुदूर ग्रामीण इलाके में लेफ्टिनेंट कर्नल मनमोहन ठाकुर की मां के नाम से चलाए जा रहे निशुल्क सेवा संस्थान को देखकर चकित रह गए। उन्होंने संस्थान के क्रियाकलापों की तारीफ की। पूसा कृषि विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र प्रसाद सिंह, दरभंगा के न्यायाधीश सुधीर कुमार, डॉ. राजीव रंजन ठाकुर कुलपति, एमआइटीडब्ल्यू पीयू विश्वविद्यालय आदि ने नई शिक्षा नीति सहित विभिन्न बातों पर विचार व्यक्त किए। रानी लक्ष्मीबाई स्पो‌र्ट्स अकादमी मैरवा सिवान के संस्थापक संजय पाठक ने खेल से संबंधित जानकारी दी। संचालन डॉ. निष्ठा ठाकुर ने दिल्ली से और साक्षी सिंह ने संस्थान से किया। इसमें रामचंद्र पंडित, रघुनाथ राय, कमलेश, विभाष, साक्षी, उíमला, खुशबू, अंकित, निखिल, ननकी पासवान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केवीके में मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण

कृषि विज्ञान केंद्र, सरैया में ओयस्टर मशरूम उत्पादन विधि पर तीन दिनी प्रशिक्षण शुरू हुआ जिसमें 30 युवा शामिल हुए। केंद्र प्रभारी डॉ. अनुपमा कुमारी ने बताया कि मशरूम उत्पादन से लागत का तीन गुना आय पा सकते हैं। डॉ. सविता कुमारी ने ओयस्टर मशरूम उत्पादन की सैद्धातिक तथा प्रायोगिक विधि की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। मशरूम का पौष्टिक एवं औषधीय महत्व होने के कारण यह कुपोषण से लड़ने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। उत्पादन में कम लागत, कम परिश्रम की जरूरत होने के कारण किसान अपना मुख्य कार्य करते हुए इसकी उपज कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।

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