पश्चिम चंपारण के बाढ़ प्रभावित इलाके में फैला डायरिया, एक की मौत

ग्रामीणों ने स्वाथ्य विभाग की ओर से बेहतर सुविधा नहीं दिए जाने का आरोप लगाकर स्थानीय विधायक सह पयर्टन मंत्री नारायण प्रसाद से शिकायत की है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया है। कहा कि लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 05:17 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 05:17 PM (IST)
पश्चिम चंपारण के बाढ़ प्रभावित इलाके में फैला डायरिया, एक की मौत
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर मंत्री ने लिया संज्ञान, प्रभारी से जवाब- तलब।

नौतन (पश्चिम चंपारण), संवाद सूत्र। दियारे के भगवानपुर पंचायत के वार्ड चार छरकी विशम्भरपुर गांव में बाढ़ का पानी कम होने के बाद डायरिया का प्रकोप बढ़ा है। गांव के संतोष मांझी के पुत्र अनरजीत कुमार(06) की मौत पिछले तीन दिन पहले हो गई। जबकि गांव में आधा दर्जन लोग डायरिया से आक्रांत हैं। हालांकि गांव में डायरिया फैलने की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंच गई है। ओआरएस और दवा का वितरण किया जा रहा है। कई डायरिया पीडि़त मंगलपुर बाजार में निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। ग्रामीणों ने स्वाथ्य विभाग की ओर से बेहतर सुविधा नहीं दिए जाने का आरोप लगाकर स्थानीय विधायक सह पयर्टन मंत्री नारायण प्रसाद से शिकायत की है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया है। कहा कि लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं भगवानपुर पंचायत के मुखिया कन्हैया यादव ने पीएचसी प्रभारी डॉ शंकर रजक और सीओ भास्कर को सूचना देकर महादलित बस्ती में फैल रहे डायरिया बीमारी के रोकथाम करने की अपील की है। कहा कि गांव में बाढ़ का पानी हटने के बाद चारों तरफ बदबू ही बदबू है। विभाग की ओर से ब्लीङ्क्षचग पाउडर का छिड़काव होनी चाहिए। 

ये हैं डायरिया से पीडि़त

वार्ड सदस्य मुन्ना मांझी और देवदत राम ने बताया कि गांव में डायरिया से ललन मांझी, नीरजा कुमारी, गौरी कुमारी, भोला मांझी, रामप्रीत मांझी, जयश्री मांझी, चांदनी कुमारी, विधावती कुमारी, रंजीता कुमारी, रौशनी कुमारी आदि डायरिया से पीडि़त हैं। सरकारी स्तर पर बेहतर उपचार की व्यवस्था नहीं होने के कारण निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। उधर, पीएचसी प्रभारी डॉ. शंकर रजक ने बताया कि महादलित बस्ती में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी गई है। अगर जरूरत पड़ी तो गांव में कैंप लगाकर इलाज किया जाएगा।  

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