मुजफ्फरपुर को पेयजल संकट से बचाने के लिए बाघवाला पोखर का विकास जरूरी

पोखर पर हर साल सावन में लगता है कांवरिया शिविर। शहर में प्रवेश से पूर्व यहां विश्राम करते हैं हजारों शिवभक्त। वर्ष 1937 में बाल चाचान ने पुत्र जन्म की खुशी में कराया था पोखर का निर्माण। पानी रहने से आसपास के इलाके में नहीं गिरता है जलस्तर।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 08:51 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 08:51 AM (IST)
मुजफ्फरपुर को पेयजल संकट से बचाने के लिए बाघवाला पोखर का विकास जरूरी
सरकार से जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम से इसके विकास का अनुरोध किया है।

 मुजफ्फरपुर, जासं। शहर से सटे सुस्ता गांव समेत आसपास के इलाके का जलस्तर बाघवाला पोखर से नहीं गिरता है। अब यह पोखर आखरी सांस ले रहा है। यदि समय रहते इसका विकास नहीं किया गया तो यह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा और आसपास के गांव के भू-जल का स्तर गिरने लगेगा। इससे लोगों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ेगा। दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के माध्यम से सुस्ता पंचायत वार्ड तीन के सदस्य सुबोध कुमार ने पोखर को बचाने की अपील की है। साथ ही सरकार से जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम से इसके विकास का अनुरोध किया है। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 1937 में बाल चाचान ने पुत्र जन्म की खुशी में पोखर का निर्माण कराया था। इसका एतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। हर साल सावन में यहां मारवाड़ी युवा मंच कांवरिया शिविर लगाता है। बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक के लिए शहर में प्रवेश से पूर्व हजारों कांवरिया यहां विश्राम करते हैं। पोखर में वर्षा जल का संचय होता है, जिससे सालों भर आसपास के इलाके में भू-जल का स्तर बना रहता है। अब यह सिमटता जा रहा है। जल संरक्षण के लिए इसे बचाने की जरूरत है।

भू-जल के उपयोग को बने निगरानी तंत्र

समाजसेवी जगन्नाथ राय ने कहा है कि एक तरफ बूंद-बूंद जल बचाने की बात हो रही है तो दूसरी ओर नल जल योजना के तहत हर पंचायत में 12-13 सबमर्सिबल पंप से भू-जल का दोहन हो रहा। कुल 8406 पंचायतें और 80 नगर पंचायतों में लाख से अधिक पंपों द्वारा 400 फीट की गहराई से जल का दोहन किया जा रहा है। इसकी निगरानी का कोई पुख्ता तंत्र विकसित नहीं किया गया है। योजना की हालत यह है कि कहीं नल की टोटी नहीं होने से पानी बर्बाद हो रहा है तो कहीं खेत का पटावन हो रहा है। इस योजना से हर दिन जमीन से लाखों गैलन पानी का दोहन हो रहा है। जितना पानी हम निकाल रहे उतना जमीन के अंदर पहुंचाने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। वर्षा जल संचय की योजना पर तत्परता से काम नहीं हो रहा है। सरकार भू-जल के उपयोग को निगरानी तंत्र विकसित करे अन्यथा आने वाले समय में गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ेगा।  

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