रवींद्रनाथ टैगोर व आचार्यश्री संस्कृति व जीवंतता के अनन्य स्वर

विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर और आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री दोनों भारतीय संस्कृति और ऋषि परंपरा के साधक रचनाकार थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 01:37 AM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 01:37 AM (IST)
रवींद्रनाथ टैगोर व आचार्यश्री संस्कृति व जीवंतता के अनन्य स्वर
रवींद्रनाथ टैगोर व आचार्यश्री संस्कृति व जीवंतता के अनन्य स्वर

मुजफ्फरपुर : विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर और आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री दोनों भारतीय संस्कृति और ऋषि परंपरा के साधक रचनाकार थे। इनकी रचनाओं में सत्य के दर्शन का सुंदर निरूपण हुआ है। विराट प्रकृति से संवाद करने में दोनों की कविताएं समर्थ हैं। दोनों भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता के अनन्य जीवंत स्वर हैं। शाश्वत मूल्यों को सहेजे इनके गीत काव्य साहित्य की अमूल्य धरोहर है। ये बातें बेला पत्रिका की ओर से निराला निकेतन में आयोजित महावाणी स्मरण में कवि गीतकार डा.संजय पंकज ने कही। कहा कि आचार्यश्री और रवींद्र नाथ आलोक के कवि हैं। दोनों ही कविता को पूजा की तरह मानते थे और जीवनपर्यंत शब्दों को साधते हुए उसे भाव वैभव से संपन्न किया। अध्यक्षीय संबोधन में कवि सत्येंद्र सत्येन ने कहा कि निराला निकेतन में आकर बड़ी ऊर्जा मिलती है। जब डा.विजय शकर मिश्र ने आचार्यश्री के प्रिय गीत बहुत रहा मैं पास तुम्हारे, इसीलिए तुम जान सके ना सुनाकर वातावरण को आचार्य जी की स्मृति में भिंगो दिया। कवि नरेंद्र मिश्र ने आज का पावन दिवस संकल्प का है, ओ जवानों वीर भू के वरदान यह सूची कल्प का है सुनाया। कवि श्रवण कुमार की गजल के शेर बरबस घुमड़ते रहे। युवा कवि अभिषेक अंजुम ने यादें कविता सुना कर स्मृति राग को जागृत किया। ललन कुमार, शोभाकात मिश्र आदि ने भी काव्यपाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन बैंक के अवकाश प्राप्त पदाधिकारी कुमार विभूति ने किया।

टैगोर की मनाई पुण्यतिथि

कांटी में जदयू नेता सौरभ कुमार साहेब व नेत्री सोनम सौरभ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने साहित्यकार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन अíपत कर नमन किया। कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए साहित्य, कला व संगीत के क्षेत्र में उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया। मौके पर कारी साहू, मदन प्रसाद, हेमंत राज, सुरेश चौधरी, मो मेराज, चंदन पांडेय, लक्ष्मण महतो, मंजर होदा, जकी अहमद, आशुतोष ठाकुर, रामदत्त महतो, इंद्रदेव राम मौजूद रहे।

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