दरभंगा में बाढ़ का हाल: चचरी, नाव और मचान, यही है कुशेश्वरस्थान
दरभंगा के कुशेश्वरस्थान पूर्वी व पश्चिमी प्रखंड की बड़ी आबादी होती बाढ़ से प्रभावित। लोगों के लिए मुश्किल होता भोजन पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं को बहाल रखना। दोनों प्रखंडों की तीन लाख आबादी मानसून से लेकर समापन के दो से तीन महीने तक बाढ़ की तबाही झेलती है।
दरभंगा, [संजय कुमार उपाध्याय]। जिले के दो प्रखंड कुशेश्वरस्थान पूर्वी और पश्चिमी बाढ़ की ऐसी त्रासदी झेलने को अभिशप्त हैं, जिसका समाधान कागजों पर होता आया है। दोनों प्रखंडों की करीब तीन लाख की आबादी मानसून से लेकर समापन के दो से तीन महीने तक बाढ़ की तबाही झेलती है। यहां कोसी और कमला और कमला बलान हर साल कहर बरपाती है। आलम यह कि यहां के लोगों की जिंदगी छह महीने नाव के सहारे सरकती है। चचरी पर जीवन कटता है। ग्रामीणों की पीड़ा है कि चुनाव के वक्त घोषणाएं बहुत हुईं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। भोजन, पानी, स्वास्थ्य समेत तमाम सुविधाएं कागज पर ही अच्छी लगती हैं। धरातल पर इन्हें प्राप्त करने में पसीने छूट जाते हैं।
मचान बनाकर अस्थायी शौचालय का निर्माण
कुशेश्वरस्थान पश्चिमी के प्रमुख हीरा प्रसाद ङ्क्षसह कहते हैं, स्वच्छ भारत अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोगों के घरों में शौचालय बना, लेकिन किस काम का? बाढ़ में लोग बांस का मचान बनाकर अस्थायी शौचालय का निर्माण कर उसका उपयोग करते हैं। मधुकांत झा ङ्क्षमटू, मुरारी पासवान, उमाशंकर राय, अशोक यादव, सुशील ङ्क्षसह बताते हैं, वर्षों से तीनों नदियों का कहर झेल रहे हैं। बाढ़ आने पर कमला-बलान नदी के पश्चिमी तटबंध पर शरण लेते हैं।
करीब एक लाख की आबादी प्रभावित
दोनों प्रखंडों की तीन लाख की आबादी में से एक लाख, 22 हजार प्रभावित हुई है। लोगों की सुविधा के लिए 46 नाव निबंधित किए गए हैं। आठ सामुदायिक रसोई से लोगों को भोजन दिया जा रहा है। हालांकि, कुशेश्वरस्थान पश्चिमी में बाढ़ का प्रभाव कम है, फिर भी यहां की 14 पंचायतों के कुल 1286 लोग प्रभावित हैं। यहां के लिए 18 नाव निबंधित हैं। एक सामुदायिक रसोई भी चलती है।
बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना से उम्मीद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जल संसाधन मंत्री संजय झा ने इलाके को बाढ़ मुक्त करने के लिए बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना का काम शुरू कराया है। उम्मीद जगी है। योजना के फेज 3बी और 5-ए के तहत मुजफ्फरपुर, दरभंगा एवं समस्तीपुर जिले में दो चरणों में कार्य होना है।