दरभंगा मेडिकल कॉलेज मना रहा अपना 96 वां स्थापना दिवस, परिसर में उत्साह का माहौल
96th Foundation Day of Darbhanga Medical College दरभंगा मेडिकल कॉलेज मंगलवार को अपना 96 वां स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। कॉलेज परिसर में उत्साह का माहौल है। कॉलेज परिसर स्थित डॉ. एचएन यादव ऑडिटोरियम में मुख्य कार्यक्रम सुबह 1030 बजे से होगा।
दरभंगा, जागरण संवाददाता। दरभंगा मेडिकल कॉलेज मंगलवार को अपना 96 वां स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। कॉलेज परिसर में उत्साह का माहौल है। कॉलेज परिसर स्थित डॉ. एचएन यादव ऑडिटोरियम में मुख्य कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे से होगा। इससे पहले कॉलेज के पुराने भवन में कॉलेज के शिशु रोग के पूर्व प्राध्यापक डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने ध्वजारोहण किया। इसके बाद पुराने भवन से कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा के नेतृत्व में एडी भवन तक मार्च पास्ट किया गया। फिर नए पुस्तकालय भवन में प्रार्थना सभा की गई और कॉलेज के संस्थापक दरभंगा के महाराजाधिराज सर रामेश्वर सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया।
द्वितीय चरण का कार्यक्रम सुबह 10 बजे से आरंभ होगा। इसके पहले सत्र में मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एके गुप्ता स्वास्थ्य में योग के महत्व के वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डालेंगे। इसके बाद मुख्य समारोह उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य व अन्य अतिथि संयुक्त रूप से करेंगे। मौके पर आगत अतिथियों से परिचय कराने के बाद संचालक मंच सीधे अतिथियों को सौंप देंगे। अतिथि के संबोधन के उपरांत उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा।
कोरोना का रहा साया
इस बार का आयोजन बेहद सामान्य तरीके का रहा। कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर जारी सरकारी गाइडलाइन के अनुरूप काफी सीमित लोगों को ही आयोजन में बुलाया गया था। दूरे प्रदेश या विदेश से किसी बड़े चिकित्सक या प्राध्यापक को इस बार के आयोजन में आमंत्रित नहीं किया गया है। प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा ने बताया कि इस बार के आयोजन में कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। सो, इस बार का आयोजन परंपरा के अनुरूप तो किया जा रहा है। लेकिन, बेहद सादगीपूर्ण तरीके से।
गौरवशाली है डीएमसी का इतिहास
यहां बता दें कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। इसकी स्थापना दरभंगा के तत्कालीन महाराजाधिराज सर रामेश्वर सिंह ने दरभंगा मेडिकल स्कूल ऑफ टेंपल के नाम से 1925 में किया था। आगे चलकर उनके पुत्र दरभंगा के अंतिम महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह ने कॉलेज को आगे बढ़ाया। 1938 के करीब इसे दरभंगा मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाने लगा। इसी साल यहां दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल ने भी भव्य आकार लिया था। शुरू के दिनों में यहां लंदन के चिकित्सक प्राचार्य बने। लेकिन, अब डीएमसी लंदन को चिकित्सक देने में सक्षम है।