डीएमसीएच के गायनिक वार्ड में संक्रमण का खतरा, फर्श पर मरीजों का इलाज
Darbhanga news एक बेड पर आपरेशन के बाद रखी गईं दो प्रसव पीड़ित महिलाएं घंटों चक्कर खाने के बाद मयस्सर हुआ बिना कंबल का बिस्तर मरीजों ने कहा- फर्श पर लिटाए जाने के कारण हुई काफी परेशानी बेड भी मिला तो काटना पड़ा कई कमरों का चक्कर।
दरभंगा, जासं। दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल में इन दिनों संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। यहां के गायनिक वार्ड में एक ही बेड पर दो मरीज रखे जाते हैं। हद तो यह कि दोनों को एक बेड पर तब रखा गया जब दोनों का आपरेशन हुआ था। बात यहीं खत्म नहीं होती एक बेड पर दो मरीजों के रखे जाने की पीड़ा से अलग बड़ा दर्द यह है कि मरीज फर्श पर लिटाए जाते हैं। फर्श पर ही इलाज होता है।
गायनिक वार्ड में डा. सीमा की यूनिट में भर्ती सदर थाना क्षेत्र के कबरिया निवासी आरती देवी की पीड़ा यहां की व्यवस्था की कमजोरी उजागर करती है। आरती कहती हैं- चार दिन पहले आपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया। आपरेशन के बाद पहले तो जमीन पर सुला दिया गया। फिर मुझे दो नंबर रूम में भेजा गया। वहां एक बेड पर रखा गया। अभी वहां चैन ले पाती कि वहां से फिर दूसरे रूम में भेज दिया गया। वहां जाने के बाद एक ही बेड पर दो मरीजों को रख दिया गया। इस कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सक भी समय पर नहीं आते। नहीं कोई दवा ही सही तरीके से मिल पाती है।
एक बेड पर रखी गईं दो प्रसव पीड़िता मरीजों में शामिल डा. राजश्री की यूनिट में भर्ती मरीज चंदा देवी बताती हैं- पांच दिन पहले पुत्र हुआ है। पुत्र होने की खुशी है। लेकिन, यहां की व्यवस्था ने एक ही बेड पर दो मरीजों को रखने की परंपरा के तहत मेरी खुशियों को संक्रमण के खतरे में डाल दिया है। सर्दी का मौसम है। सर्द हवा परेशान कर रही है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन की ओर से एक कंबल तक नहीं दिया गया। इससे बड़़ी समस्या क्या हो सकती है।
कई बेड टूट चुके हैं पहले, ठीक कराने की कवायद धीमी
अस्पताल सूत्र बताते हैं कि विभाग के कई बेड टूट चुके हैं। उन्हें ठीक कराने की दिशा में काम चल रहा है। काफी मजबूरी में मरीजों को ठंड के इस मौसम में जमीन पर लिटाया जाता है। बेड को ठीक कराने की दिशा में काम चल रहा है। शीघ्र ही इस समस्या से निजात दिलाने की कोशिश होगी।
निजी एंबुलेंस वालों की मनमानी चरम पर
मरीज व उनके स्वजनों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से डीएमसीएच में एंबुलेंस की व्यवस्था ठप है। इस कारण से निजी एंबुलेंस संचालकों की चांदी कट रही है। जब भी कोई इमरजेंसी होती है तो ये मरीजों से मनमाना किराया वसूलते हैं। वहीं सरकारी एंबुलेंस से जाने पर मरीज के स्वजनों को अपनी जेब से डीजल भरवाना पड़ता है।
-‘अचानक मरीजों की संख्या बढ़ जाने के कारण बेड की कमी हो गई है। आपूर्तिकर्ता को आदेश दिया गया है कि शीघ्र बेड की आपूर्ति करें। चिकित्सक संवेदनशील हैं। लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने की कवायद लगातार चल रही है।’- डा. हरिशंकर मिश्राअधीक्षक, दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल