Valmiki Tiger Reserve: वीटीआर की हसीन वादियों में मिठास घोल रही कोयल की कूक
West Champaran Valmiki Tiger Reserve लॉकडाउन के कारण शांत व स्वच्छंद हुआ वीटीआर का माहौल। सुबह शाम जंगल में भ्रमण करते दिख रहे हैं वन्य जीव। कोयल की मीठी कूक वीटीआर की हसीन वादियों में मिठास घोल रही।
बगहा (पश्चिम चंपारण), जासं। एक बार फिर से लॉकडाउन वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के लिए हसीन सौगात लेकर आया है। कोयल की मीठी कूक वीटीआर की हसीन वादियों में मिठास घोल रही। सुबह-शाम जानवर जंगल में विचरण करते दिख रहे। बारिश की फुहारों से धूल और गंदगी की परत हटने के बाद पेड़ों की पत्तियां भी अब चमकने लगी हैं। पक्षियों की मधुर आवाज लोगों को बरबस प्रकृति की ओर खींच रही है। वीटीआर की जैव विविधता को लोग करीब से देख और महसूस कर रहे हैं। इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि कोयल की कूक पहले वाहनों के शोर में गुम हो जाती थी। ध्वनि और वायु प्रदूषण की वजह से यह असहज और असामान्य रहते थे, लॉकडाउन के बाद सामान्य हो चुके हैं। प्रदूषण कम होने से वातावरण अब उनके अनुकूल हो चुका है।
घने और लंबे पेड़ पर बैठती है कोयल
कोयल सामान्य तौर पर घने और लंबे पेड़ पर बैठती है। कीट और फल कोयल का भोजन है। नर कोयल कूक करता है। प्रकृति प्रेमी मनोज कुमार ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे पक्षियों का व्यवहार प्रभावित हो रहा है। साथ ही उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। इसके चलते इनकी संख्या घट रही है।
घोंसला नहीं बनाती है कोयल
वीटीआर में कोयल की सुरीली आवाज सुनाई दे रही है। पेड़ों पर रहने वाला यह पक्षी कभी अपना घोंसला नहीं बनाता बल्कि दूसरे पक्षियों के घोंसले में अंडे देता है। अब कोयल की कुहू-कुहू से ह्रदय के तार झंकृत हो रहे हैं। हाल के दिनों में वीटीआर में पक्षियों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। अब ऐसे मेहमान पंछी भी दिखने लगे हैं, जो आबादी से दूर रहते हैं। लॉक डाउन की वजह से भीड़ और शोर काफी कम हो गया है। कोलाहल वाली जगहों पर भी सन्नाटा है। यह परिवेश पक्षियों को आकर्षित कर रहा है।