पश्चिम चंपारण के बगहा में तटबंध की मरम्मत पर हर साल करोड़ों खर्च, फिर भी बर्बादी की वही कहानी
West Champran बगहा में गंडक पार चारों प्रखंड में कटाव जारी इसके बावजूद भी विभाग बना लापरवाह वाल्मीकिनगर विधायक व एमएलसी की शिकायत का असर नहीं लगातार हो रही कटान के बाद भी इलाके बाढ़ग्रस्त घोषित नहीं
पश्चिम चंपारण, { विनोद राव} । बाढ़ सुरक्षा के नाम पर हर साल की तरह इस साल भी अबतक करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। लेकिन, क्षेत्र के लोग सहमे हैं। लाकडाउन जैसी विषम परिस्थिति में भी पीपी तटबंध के जीएच प्रभाग में सुरक्षा को लेकर करोड़ों की लागत से एंटीरोजन कार्य का दावा किया गया। गंडक पार के चारों प्रखंड मधुबनी, पिपरासी, भितहां व ठकरहा में सिंचाई विभाग की लापरवाही से लगातार कई बिंदुओं पर कटान जारी है। गंडक पार के चारों प्रखंडों की लाइफ लाइन कहे जाने वाले पिपरा-पिपरासी तटबंध को बचाने की कवायद दरअसल, संवेदकों व अभियंताओं के लिए धन-कुबेर साबित होता। बरसात अवधि शुरू होने से पूर्व ही अभियंता कई बिंदुओं पर कटान के खतरे का हवाला देकर बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराए जाने की अनुशंसा के साथ पत्राचार कर देते हैं। इसके बाद विभाग स्वीकृति प्रदान करता। फिर अभियंता चहेते संवेदकों को बालू भरी बोरियों की पीचिंग के लिए अधिकृत कर अपना हिस्सा उठा लेते हैं। इन बोरियों में रेत के बदले कभी मिट्टी तो कभी सिल्ट भर दी जाती है। वर्तमान परिपेक्ष्य पर गौर करें तो गंडक पार के चारों प्रखंडों की आबादी बाढ़ के भय के साये में जी रही है। सिंचाई विभाग के द्वारा बचाव कार्य में कई बार लापरवाही उजागर होने के बाद भी विभाग अपनी आंख पर पट्टी बांधे बैठा है।
विधायक व एमएलसी ने पकड़ी थी अनियमितता
पिछले साल प्रखंड के दुलारी पॉइंट 23:40 एवं चंदरपुर में कटान की जांच करने पहुंचे वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह व एमएलसी भीष्म साहनी ने घोर अनियमितता पकड़ी। यहां कार्य की निम्न गुणवत्ता के कारण एक स्टर्ड ध्वस्त हो गया था। विधायक व एमएलसी के द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पटना से उड़नदस्ता टीम जांच के लिए पहुंची। कार्यपालक अभियंता भोला शरण के नेतृत्व में जब टीम जांच को पहुंची तो जांच के क्रम में ही तीन स्टर्ड चार जून को ध्वस्त हो गए। उसी दिन ही मधुबनी प्रखंड के बैरा बिनटोली में बांसी नदी के लगातार कटान से सरकारी स्कूल का अस्तित्व खतरे में आ गया। आठ जून की रात अचानक धनहा रतवल पुल के 42 नंबर पिलर पर गाइड बांध भी टूट गया था। जिससे चिउरही पंचायत में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया।
पिपरासी प्रखंड में भी इसी पीपी तटबंध पर 145 जगहों पर रिसाव हो रहा था। जिसकी सिंचाई विभाग के द्वारा लीपापोती कर दी गई। इसी क्रम में बारिश् के बाद सैकड़ों जगह पर रेन कट से होल हो गया था। हाल में बुधवार से ही लगातार धनहा रतवल पुल के एक नंबर पिलर के पास कटाव से सेमरबारी बांध पर दबाव बढ़ते जा रहा है। सेमरवारी बांध पर दबाव के कारण पिपरासी के नवका टोला व सेमरबारी सहित आसपास के कई गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। जबकि कटाव से 900 मीटर की दूरी पर सिंचाई विभाग का कैम्प भी है। यहीं से मानीटरिंग भी की जाती है। चारों प्रखंडों के प्रखंड मुख्यालय व जिला पर जाने का सबसे सटीक मार्ग पीपी तटबंध ही है। सिंचाई विभाग के अधिकांश अधिकारी भी इसी रास्ते से गुजरते हैं। बावजूद इसके स्थिति बदहाल है।
चंदरपुर में कटान का सर्वाधिक खतरा
गंडक नदी पर चंदरपुर प्वाइंट पर स्टर्ड के ध्वस्त होने का सिलसिला जारी है। स्टर्ड टूटने से लाखों की आबादी भय और दहशत के माहौल में जीने को विवश हैं। एक महीने में तीसरी बार स्टर्ड टूटे हैं। पहली बार 38 नंबर स्टर्ड टूटा था। दूसरी बार सात , आठ तथा नौ नंबर स्टर्ड टूटा था। फिर तीसरी बार चार, सात व आठ नंबर स्टर्ड क्षतिग्रस्त हुए। 14 जून से 13 जुलाई के बीच चंदरपुर में तीन बार स्टर्ड क्षतिग्रस्त हुए।
जन प्रतिनिधियों के पत्र पर अभियंताओं की तानाशाही भारी
वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप और एमएलसी भीष्म सहनी के अलावा सिकटा के माले विधायक वीरेंद्र गुप्ता ने सीएम को पत्र लिखकर स्टर्ड टूटने से संभावित खतरे को अवगत कराते हुए अभियंताओं पर कार्रवाई की मांग की। इसके साथ मौके पर स्थायी व्यवस्था के लिए आवाज बुलंद की। परंतु मामला विजलेंस की जांच तक सिमट कर रह गया। अभी जांच चल रही है, इस बीच दो बार स्टर्ड टूट चुके हैं। अब जनप्रतिनिधि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगा रहे है कि अधिकारियों की लापरवाही से स्टर्ड लगातार टूट रहे हैं। विधायक द्वय और एमएलसी के अनुसार इस मामले की जांच की जा रही है। दोषी अभियंता और संवेदक बख्शे नहीं जाएंगे।
चंदरपुर में बने हैं 43 स्टर्ड :-
पीपी तटबंध को सुरक्षित करने के लिए चंदरपुर प्वाइंट पर 43 स्टर्ड बनाए गए हैं। इस कार्य पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। बीते एक महीने में तीन बार में पांच स्टर्ड टूट गए हैं। यदि इस बिंदु पर स्टर्ड क्षतिग्रस्त हुए तो भितहा की छह पंचायतों समेत सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के कई इलाके बाढ़ में डूब जाएंगे। उल्लेखनीय है कि 1998 ,1999, 2002, 2010, 2012 और 2017 में स्टर्ड ध्वस्त होने के बाद बांध टूटा था।
-- स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की टीम तटबंध की सुरक्षा को लेकर नियमित रूप से पर्यवेक्षण कर रही है। चारों प्रखंडों के बीडीओ-सीओ को बाढ़ अवधि तक भ्रमणशील रहने को कहा गया है। बाकी सरकार के निर्देश के आलोक में प्रशासनिक महकमा कड़े कदम उठाएगा। -शेखर आनंद, एसडीएम, बगहा।
-तटबंधों की सुरक्षा को लेकर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से राशि का जमकर बंदरबांट होता है। अभियंताओं के खिलाफ वे कार्रवाई के लिए पत्र भी लिख चुके हैं। विजलेंस जांच जारी है। दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। -धीरेंद्र प्रताप उर्फ रिंकू सिंह, विधायक, वाल्मीकिनगर