West Champaran: वाल्मीकिनगर में अब एप आधारित होगी बाघों की गणना, वनकर्मियों को होगी सहुलियत

West Champaran News कागज लेकर गणना संबंधी बिंदुओं को लिखने से मिली मुक्ति वाल्मीकिनगर में वनकर्मियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न अब वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना में एम स्ट्राइप एप का किया जाएगा इस्तेमाल।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 05:26 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 05:26 PM (IST)
West Champaran: वाल्मीकिनगर में अब एप आधारित होगी बाघों की गणना, वनकर्मियों को होगी सहुलियत
पश्‍च‍िम चंपारण में बाघों की गणना के ल‍िए द‍िया गया प्रश‍िक्षण। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण, जासं। टाइगर रिजर्व के वाल्मीकिनगर स्थित सभागार में बाघ गणना 2022 हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बाघ गणना आकलन हेतु वनक्षेत्र में अलग-अलग टीम बनाकर बीट एवं ट्रांजेक्ट लाइन के बाबत जानकारी दी गई। वास्तविक वन्यप्राणी गणना के दौरान बाघ, तेंदुए एवं अन्य मांसाहारी वन्यप्राणियों के चिन्ह एकत्र करने संबंधी महत्वपूर्ण बिंदु, ट्रांजेक्ट लाइन वाक के दौरान रखी जाने वाली महत्वपूर्ण सावधानियां तथा उनके आवास स्थानों से संबंधित आंकड़ों को संकलन करने, मोबाइल एप में जानकारी भरने के साथ ही जीपीएस कैमरा ट्रेप, रैंज फाइंडर, सुंटो कपास का उपयोग करने के बारे में  विस्तृत जानकारी दी गई। अब इस बार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना में एम स्ट्राइप एप का इस्तेमाल        किया जाएगा।

वीटीआर के वनाधिकारियों को अगस्त माह में देहरादून में भारतीय वन्यजीव संस्थान में प्रशिक्षण दिया गया है। वे मास्टर ट्रेनर के तौर पर बाघ गणना से संबंधित स्टाफ को प्रशिक्षित कर रहे हैं। प्रशिक्षण में पांचों रेंज के 50 वन रक्षकों को आवश्यक जानकारी दी जा रही है। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने इस बार टाइगर रिजर्व में एम स्ट्राइप एप के माध्यम से बाघ गणना कराने का निर्णय लिया है। इस एप का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अभी तक जंगल में गश्त के लिए उपयोग किया जा रहा था। ऐसे में अधिकारियों व कर्मचारियों के मोबाइल फोन में यह एप पहले से ही डाउनलोड है।

बाघों की गणना से पहले शाकाहारी वन्यजीवों की गिनती की जाती है। इसमें पिछले वर्षों तक कर्मचारी जंगल में डाली जाने वाली ट्रांजिक्ट लाइन पर चलते हुए डायरी में विवरण व आंकड़े कलम से दर्ज करते थे। उसे बाद में विभाग के कार्यालय में लाकर कंप्यूटर में फीड कराते थे। नई व्यवस्था में इतनी मशक्कत की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सारा विवरण और आंकड़े एप से कंप्यूटर में डाउनलोड कर लिए जाएंगे। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक अभी तक इस एप का इस्तेमाल जंगल में पेट्रोङ्क्षलग के दौरान किया जाता रहा है। डब्लूडब्लूएफ के प्रबंधक कमलेश मौर्य ने बताया कि पहले जंगल में कर्मचारी कागज की शीट लेकर गश्त करते थे। जंगल में जो कुछ भी उन्हें गश्त के दौरान दिखता, उसका विवरण शीट पर लिख लेते। एप से गश्त होने पर कागज व कलम का उपयोग बंद हो गया है।

पिछली गणना में 40 से अधिक बाघ होने की पुष्टि

बरसात खत्म होने के बाद जंगल में ट्रांजिक्ट लाइन डालकर तृणभोजी वन्यजीवों की गिनती का कार्य शुरू होगा। बाघ गणना की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ेगी। यह आकलन तीन चरणों में किया जाएगा। इसमें प्रथम चरण में सबसे पहले सभी वन बीटों में मांसाहारी और शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपस्थिति संबंधी साक्ष्य इक_े किए जाते हैं। द्वितीय चरण में जीआईएस मैप का वैज्ञानिक अध्ययन और तृतीय चरण में वन क्षेत्रों में कैमरा ट्रेप लगाकर वन्य प्राणियों के फोटो लिए जाते हैं। बता दें कि बीती गणना के दौरान वीटीआर में 40 से अधिक बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है।

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