मुजफ्फरपुर के पदाधिकारी का भ्रष्टाचार प्रेम जगजाहिर, फाइल दबाने का खेल जारी
मामला सरकार से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तक पहुंच गया है। उनके भ्रष्टाचार प्रेम के किस्से प्रशासनिक महकमे में चर्चित हैं। उनकी पसंद भी भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी ही हैं। उनकी मनचाही प्रतिनियुक्ति कराने में वे सफल हो जाते हैं।
मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। सरकार शुचिता की चाहे जितनी पाठ पढ़ा ले, कुछ पदाधिकारियों और कर्मचारियों को फर्क नहीं पडऩे वाला। भ्रष्टाचार के आरोप में एक पदाधिकारी कुछ दिन पहले गिरफ्त में आए थे। अब जिले के ऐसे ही एक पदाधिकारी की चर्चा हो रही है। मामला सरकार से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तक पहुंच गया है। उनके भ्रष्टाचार प्रेम के किस्से प्रशासनिक महकमे में चर्चित हैं। उनकी पसंद भी भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी ही हैं। उनकी मनचाही प्रतिनियुक्ति कराने में वे सफल हो जाते हैं। कई चहेतों की प्रतिनियुक्ति तो अपनी कलम से करने में भी गुरेज नहीं करते। चर्चा है कि उनके माध्यम से ही सारा खेल हो रहा है। भ्रष्ट पंचायत जनप्रतिनिधियों से योजना में गड़बड़ी की फाइल दबाने का खेल जारी रहा। खेल में बाधा ना आए इसलिए नियम बताने वाले सहायक को कार्यालय से हटवा दिया। तभी तो जिले में पदस्थापना के समय से वेतन नहीं मिलने के बाद भी कोई कमी नहीं है।
कुर्सी एक, सौदा बार-बार
शहर की एक कुर्सी अभी चर्चा में है। इस कुर्सी की कीमत पिछले चार वर्ष में कुछ अधिक हो गई है। तभी तो इसकी चौथी बार बोली लगने की बात हो रही है। जनता भी देख रही उसका वोट तो समस्या को दूर करने के लिए लिया गया था, मगर उसकी बोली लगाई जा रही। एक नहीं कई बार। पहली बोली चुनाव के तुरंत बाद लग जाती। प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में सबसे अधिक कीमत मिल जाती है। पहले यह मान लिया जाता था कि पांच साल के लिए जिन्हें कुर्सी सौंप दी गई गिला-शिकवा के साथ उनके पास ही रहने दी जाए, मगर अब पैटर्न बदल गया है। कुर्सी सलामत रहे इसके लिए भी सौदा। इस सौदेबाजी में जनता कहीं नहीं रही। कुछ माह बाद फिर उसकी दुखती रग पर हाथ रखकर वोट लिए जाएंगे। इसके बाद फिर पांच साल होता रहेगा सौदा...।
तीसरी लहर लाने की तैयारी
वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर का कहर देखकर लोग यही दुआ करते रहे, बस किसी तरह इस बार बच जाएं। लहर कम हुई तो सभी ने राहत की सांस ली, मगर संकट के दर्द को भूल गए। सरकार के स्तर से कोरोना की तीसरी लहर से बचाव की तैयारी की जा रही है। आक्सीजन प्लांट से लेकर बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। दूसरी ओर तीसरी लहर लाने की लोग पूरी तैयारी कर रहे। दो-दो मास्क लगाने वाले अब इसे भूल चुके हैं। भीड़ में भी बिना मास्क जाने से नहीं चूक रहे। भोज-भात भी जमकर हो रहा है। प्रत्येक लोगों की जेब में रहने वाला सैनिटाइजर अब घरों से भी बाहर हो चुका है। जब इतनी तैयारी हो रही हो तो तीसरी लहर को आने से कौन रोक सकेगा। अब भी समय है। कोरोना लाने की नहीं बचने की करें तैयारी।
दो-दो सूचना प्रभारी, भारी रहने की मारामारी
राज्य में सत्तासीन मोर्चा के एक घटक दल की जिला इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। शीर्ष पद को लेकर तो मामला ठीक है, मगर सूचना आदान-प्रदान करने के विभाग में वर्चस्व की लड़ाई है। जिला इकाई ने अपने हिसाब से इसके लिए पार्टी के एक नेता को जिम्मेदारी सौंप दी है। पार्टी की गतिविधियों की सूचना वे जारी करते हैं। इससे अलग एक और नेता ने इसकी कमान संभाल रखी है। उन्होंने अपने हिसाब से प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के पार्टी नेताओं का चयन भी कर रखा है। जिला दौरे की उनकी सूचना भी इनके स्तर से ही उपलब्ध होती है। दबदबा इतना कि इसके लिए उन्हें जिला इकाई से अनुमति भी नहीं लेनी होती। इस मामले में वे अधिकृत प्रभारी पर भारी पड़ जाते हैं। अनुशासन वाली पार्टी में इस दबदबे की राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा हो रही।