समस्तीपुर में काली पट्टी बांधकर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने की ड्यूटी, जानिए क्या है उनकी मांग
Samastipur News कोविड-19 की भयावहता के बीच स्वास्थ्य संविदा एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों का 50 लाख का बीमा कराने की उठी मांग। मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किए जाने की स्थिति में 12 मई से होम आइसोलेट होंगे सभी कर्मी।
समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। कोविड-19 की भयावहता के बीच राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मियों ने लंबित मामलों को लेकर गुरुवार से आंदोलन शुरू कर दिया है। बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के बैनर तले मांगों के समर्थन में काला बिल्ला लगाकर एकजुटता दिखाते हुए ड्यूटी की। आंदोलन कोविड-19 की भयावहता के बीच कार्य कर रहे स्वास्थ्य विभाग में सभी संविदा कर्मियों और आउटसोर्सिंग के तहत कार्य कर रहे कर्मियों के लिए तत्काल 50 लाख रुपये की बीमा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की। इस दौरान एक सभा आयोजित हुई।
डीपीसी आदित्य नाथ झा ने कहा कि सरकार लंबे समय से संविदा कर्मियों के साथ धोखा कर रही है। उन्होंने पहले ही सरकार को उनकी मांगों से अवगत कराया था। लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। सरकार दोहरी नीति अपनाती है। रेगुलर स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना काल में मौत के बाद उनके आश्रित को नौकरी देने की मुख्यमंत्री ने घोषणा की है। लेकिन संविदा कर्मियों के लिए ऐसा कुछ नहीं है। जबकि हम सभी संविदा कर्मी दिन रात कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा दे रहे हैं। लेकिन सरकार हम पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। अगर काम के दौरान हमारी मौत हो जाती है, तो सरकार कोई लाभ नहीं देगी।
इसी बात के विरोध में हम काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं। आंदोलन के समय मांगें पूरी करने का आश्वासन देने के बाद उसे अमल नहीं कर रही है। इस बार सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया जाता है तो 12 मई से सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी कार्य करने के दौरान धनात्मक रोगियों से संपर्क में आने के कारण खुद को होम आइसोलेट कर लेंगे। इससे उत्पन्न किसी भी विषम परिस्थिति की सारी जवाबदेही राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग की होगी। मौके पर डीपीएम एसके दास, अभिनय कुमार सिन्हा, डीसीएम अनिता कुमारी, आलोक कुमार सहित अन्य उपस्थित रहे।
संविदा कर्मियों ने बताई अपनी परेशानी
डीसीएम अनिता कुमारी ने बताया कि जिले में दर्जनों की संख्या में संविदा कर्मी कार्यरत हैं, इसके बावजूद उन्हें धमकी मिलती है। सरकार केवल उनलोगों से काम ले रही है, उनके बारे में नहीं सोच रही। सरकार उनसे स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर काम कराती है, लेकिन जैसे ही सरकार की काम खत्म हो जाता है, वो उनलोगों नौकरी से निकालने की बात करती है। ऐसे में उनकी मांग है कि सरकार उनके साथ दोहरी नीति ना अपनाए। कोरोना काल में उन्हें भी रेगुलर स्वास्थ्य कर्मियों की तरह लाभ दें।
स्वास्थ्य संविदा एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों का 50 लाख का बीमा कराने की मांग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य स्तर, जिला स्तर, अनुमंडल स्तर, प्रखंड स्तर, स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर कार्यरत विभिन्न कोटि के संविदा कर्मियों व पदाधिकारियों का मानदेय पुनरीक्षण कर शत प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की मांग की गई है। इसके अलावा कोविड-19 की भयावहता के बीच कार्य कर रहे सभी स्वास्थ्य संविदा कर्मियों एवं आउटसोर्सिंग के तहत कार्य कर रहे कर्मियों के लिए तत्काल 50 लाख रुपये की बीमा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
संविदा कर्मियों के लिए भी पेंशन व नौकरी देने की मांग
कोरोना काल में मृत्यु हो जाने के उपरांत घोषित की गई पारिवारिक पेंशन, आश्रितों को नौकरी एवं अन्य सुविधा को अक्षरश: स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के लिए भी तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की गई। एनएचएम के अधीन कार्यरत सभी कर्मी व पदाधिकारियों को उनके पद के अनुसार सेवा शर्त निर्धारण लागू किया जाए। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ग्रुप एक्सडेंट पॉलिसी एवं मेडिकल हेल्थ पॉलिसी लागू करने हेतु भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई राशि की सुविधा देने की मांग की।