लॉकडाउन के बीच उपभोक्ताओं पर मार, खाद्य तेल व दाल की कीमतों में उछाल

विभिन्न क्वालिटी के खाद्य तेलों में 165 से लेकर 190 रुपये लीटर बिक रहे हैं। कृत्रिम कमी पैदा कर महंगाई इस हद तक बढ़ा दी गई है। आम उपभोक्ताओं में मचा त्राहिमाम नहीं हुई कोई प्रशासनिक पहल। जमाखोरी से बिगड़ा लोगों की थाली का स्वाद।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 09:48 AM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 10:43 AM (IST)
लॉकडाउन के बीच उपभोक्ताओं पर मार, खाद्य तेल व दाल की कीमतों में उछाल
दाल की कीमतों में भी प्रति किलो 25 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है।

मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना के दूसरे लहर में खाद्य तेल और दाल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। यूं कहे तो उपभोक्ताओं के अनुसार खाद्य तेल में आग लगी हुई है। एक तरफ कोरोना संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है और लगातार जानें भी जा रही हैं, तो दूसरी तरफ जमाखोरी की वजह सरसों तेल और दाल कीमतें आसमान छूने लगी हैं। कृत्रिम कमी पैदा कर महंगाई इस हद तक बढ़ा दी गई है कि अब गरीबों की थाली में सब्जियों का स्वाद ही गायब हो गया है। खाद्य तेलों ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है। विभिन्न क्वालिटी के खाद्य तेलों में 165 से लेकर 190 रुपये लीटर बिक रहे हैं। यह स्थिति पिछले दस बारह दिनों से बनी हुई है। 

उपभोक्ताओं में गुस्सा है। एक तो जमाखोरों के विरुद्ध प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही तो दूसरी थोक विक्रेताओं द्वारा आपदा को मोटी कमाई का अवसर बनाने को लेकर है। प्रति 15 किलो सरसो तेल और रिफाइन में चार से पांच सौ रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। खुदरा व्यवसायियों द्वारा यही जवाब दिया जा रहा कि हमें महंगा रेट पर ही मिल रहा है। लोगों का कहना है कि दाल की कीमतों में भी प्रति किलो 25 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के मुकाबले खाद्य तेल की कीमतों में भी जबर्दस्त वृद्धि हुई है। बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के बावजूद वाहनों का आवागमन हो रहा है। ट्रांसपोर्ट भी चालू है। सामग्री बाहर से आ जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जिला प्रशासन द्वारा आलू, प्याज सरसों तेल, दाल जैसी सामग्री के लिए सूची भी जारी की गई थी। उस दर से अधिक बिकने पर कार्रवाई भी की गई, लेकिन इन दिनों आम लोगों को राहत देने की दिशा में प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई। कुछ खुदरा ग्राहकों ने बताया कि कल तक हम लोग कैश पेमेंट करते थे। इस समय थोक विक्रेता कैश लेने के बजाय ऑनलाइन पेमेंट ही मांग रहे हैं। वह भी पहचान कर ही खुदरा विक्रेताओं को खाद्य तेल दे रहेे हैं।  

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