आयुक्त और डीएम समेत 23 के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में परिवाद

तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार डीएम प्रणव कुमार एवं अन्य विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:39 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:39 AM (IST)
आयुक्त और डीएम समेत 23 के  विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में परिवाद
आयुक्त और डीएम समेत 23 के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में परिवाद

मुजफ्फरपुर : तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार, डीएम प्रणव कुमार एवं अन्य विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया है। यह परिवाद मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद मरीजों में संक्रमण को लेकर किया गया है। यह परिवाद मिशन मोदी अगेन पीएम के प्रदेश महामंत्री नगर थाना क्षेत्र के न्यू एरिया सिकंदरपुर के आचार्य चंद्रकिशोर पाराशर ने दाखिल किया है। 13 दिसंबर को सीजेएम कोर्ट में परिवाद की सुनवाई होगी। इस परिवाद में आयुक्त के अलावा जिलाधिकारी प्रणव कुमार, सिविल सर्जन डा. विनय शर्मा, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला प्रभारी अंधापन निवारण डा. सुभाष प्रसाद सिंह, दृष्टि अस्पताल गोबरसही के संचालक डा. एनडी साहू, मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल प्रबंधन समिति के सचिव दिलीप जालान, संयुक्त सचिव आलोक कुमार संगनरिया, अध्यक्ष राजकुमार केडिया, उपाध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल, सचिव दिलीप कुमार तुलस्यान, संयुक्त सचिव श्यामसुंदर भीमसेरिया, कोषाध्यक्ष बेनीमाधव चांद कोठिया, सदस्य श्रीराम बंका, विश्वनाथ चौधरी, ललित कुमार केजरीवाल, कैलाशनाथ भरतिया, रमेशचंद्र टिकबानी, नवल किशोर सुरेका, दिलीप कुमार जालान, नवल किशोर अग्रवाल, आलोक कुमार संगनेरिया,अंबिका ढंढ़ानिया व 10-12 अज्ञात को आरोपित बनाया गया है।

परिवाद में यह लगाया आरोप : परिवाद में कहा गया है कि कई आरोपित मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल के प्रबंधन व चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े पदाधिकारी हैं। इनके द्वारा सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से लाखों-करोड़ों रुपये अनुदान में लिया गया है। अनुदान प्राप्त होने के बाद केवल दिखावा व खानापूरी के लिए अयोग्य, अनुभवहीन चिकित्सकों व कर्मियों से से लापरवाही पूर्ण तरीके से मानक के विपरीत सैकड़ों मरीजों की आंखों का इलाज व आपरेशन किया। इससे दर्जनों मरीजों की आंख की रोशनी चली गई और उनकी आंख निकालनी पड़ी। इससे वे अंधे व अपंग हो गए। यह सब सोची-समझी साजिश के तहत सरकारी व गैरसरकारी अनुदान की राशि का दुरुपयोग करने के लिए किया गया।

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