नगर आयुक्त ने पूर्व महापौर के दावे को किया खारिज

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूर्व महापौर सुरेश कुमार द्वारा किए गए दावे को नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने खारिज कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 02:36 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 02:36 AM (IST)
नगर आयुक्त ने पूर्व महापौर के दावे को किया खारिज
नगर आयुक्त ने पूर्व महापौर के दावे को किया खारिज

मुजफ्फरपुर : अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूर्व महापौर सुरेश कुमार द्वारा किए गए दावे को नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने खारिज कर दिया है। पूर्व महापौर को पत्र लिखकर महापौर एवं उपमहापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आयोजित निगम बोर्ड की विशेष बैठक एवं उसकी प्रक्रिया को पूरी तरह से अधिनियम के अनुरूप बताते हुए उनकी मांग को नकार दिया है। पूर्व महापौर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर स्वयं को अभी भी महापौर बताया था और उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला को अपदस्त करने की बात कहीं थी।

नगर आयुक्त ने अपने पत्र में कहा है कि पूर्व महापौर ने उच्च न्यायालय के जिस फैसले का हवाला दिया है वह पंचायती राज एक्ट 2008 की धारा 443 के तहत है। नगर निगम में पंचायती राज नियम 2008 प्रभावी नहीं होता है। नगर निगम बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के विभिन्न धाराओं से प्रभावी होता है।

विस्तारित भवन का प्रापर्टी टैक्स नहीं देने वालों पर होगी कार्रवाई

शहरी क्षेत्र स्थित विस्तारित भवन का प्रापर्टी टैक्स नहीं देने वालों पर नगर निगम कार्रवाई करेगा। इसके लिए नगर निगम ने सहायक अभियंता के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम गठित की है। शहर के दर्जनभर चिह्नित लोगों को नगर निगम ने नोटिस भेजकर एक से 16 अगस्त तक आवश्यक दस्तावेज जमा करने को कहा गया है ताकि उसकी जांच की जा सके।

नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय द्वारा जारी नोटिस में होल्डिंग स्वामी से पूछा गया है कि विस्तारित भवन कब से है। इसके निर्माण की स्वीकृति ली गई है या नहीं, भवन का नक्शा पास है या नहीं। उसका कौन से भाग कर के दायरे से बाहर है। भवन में निगम द्वारा आपूर्ति जल का कनेक्शन लिया गया है या नहीं। यदि भवन में सबमर्सिबल बोरिग है तो उसकी अनुमति ली गई है या नहीं। नगर आयुक्त ने कहा कि निगम के तहसीलदारों द्वारा भवन मालिकों से प्रापर्टी टैक्स से बाहर विस्तारित भवनों की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन जिन लोगों ने इसकी अनदेखी की है उनके खिलाफ निगम ने यह सख्त कदम उठाया है। विस्तारित भाग के कर के दायरे से बाहर रहने से निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा था। इसे देखते हुए निगम ने यह सख्त कदम उठाया गया है। जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले भवन मालिकों के खिलाफ निगम सख्त कार्रवाई करेगा।

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