मुजफ्फरपुर जिले में फर्नीचर बाजार पर 75 प्रतिशत चाइना का कब्जा
Muzaffarpur news साल में करीब 36 करोड़ रुपये का होता है व्यापार कुछ ही दिनों तक चाइना के फर्नीचर में रहती चमक। दुकानदार भी ग्राहकों को सही बातों से अवगत नहीं कराते। चाइनीज लकडिय़ों से बने फर्नीचर कमजोर होते हैं।
मुजफ्फरपुर, जासं। जिले में फर्नीचर बाजार पर 75 प्रतिशत चाइना के उत्पादों का कब्जा है। अगर किसी शोरूम में आपको चमचमाता हुआ कोई लकड़ी का फर्नीचर दिखाई दे तो सावधान हो जाइएगा। उसकी चमक हमेशा के लिए नहीं रह पाएगी। कुछ दिनों तक देखने में अ'छा लगेगा। इसके बाद उसकी सूरत बिगड़ जाएगी और सामान में टूट-फूट भी होने लगेगी। उसकी फिनिङ्क्षशग से लोग अधिक पसंद करते हैं। दुकानदार भी उनको सही बातों से अवगत नहीं कराते। चाइनीज लकडिय़ों से बने फर्नीचर कमजोर होते हैं। जिले में एक महीने में करीब चार करोड़ का फर्नीचर का व्यापार होता है। साल में करीब 36 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इस बार बाजार में नई डायङ्क्षनग टेबल, पलंग व कुर्सियों की भरमार है।
उत्तर बिहार में जाता है फर्नीचर
मुजफ्फरपुर में फर्नीचर के कुछ ऐसे होलसेलर हैं जिनका सामान उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में जाता है। चंद्रलोक चौक पर करीब 20 दुकानें हैं। कांटी, मोतीपुर, सरैया सहित पश्चिमी क्षेत्र में फर्नीचर के 60 से अधिक दुकानें हैैं। अखाड़ाघाट से लेकर औराई, मीनापुर तक करीब 30 फर्नीचर की दुकानें हैं। वहीं पूर्वी क्षेत्र में 15 दुकानें हैं। जिले में 150 से अधिक फर्नीचर की दुकानें हैं।
कंपनियां प्रतिदिन बना रहीं नई डिजाइन
देश में फर्नीचर निर्माण की जितनी भी बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं प्रतिदिन नई डिजाइन तैयार कर बाजार में भेज रही हैैं। फर्नीचर के होलसेलर रतन कुमार ने बताया कि प्लास्टिक की नई डिजाइन की कुर्सियां, डायङ्क्षनग टेबल आदि आकर्षक लुक में आई हैैं। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर कंपनियां सामान तैयार कर रही हंै। नई डिजाइन वाली कुर्सियां पर्यावरण के अनुकूल हैं। इनकी खरीद कर रहे चंदन कुमार ने बताया कि नीलकमल, सुप्रीम आदि कंपनियों की कुर्सियां काफी मजबूत होती हैैं। अन्य ब्रांड के सामान की भी बिक्री हो रही है। चाइनीज सामान सस्ता होने की वजह से ग्राहक प्रभावित हो जाते।