चैत्र नवरात्र को लेकर घरों में स्थापित हुई कलश, मंदिरों में पुजारियों ने की पूजा

कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को चैत्र नवरात्र का प्रारंभ हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 01:29 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 01:29 AM (IST)
चैत्र नवरात्र को लेकर घरों में स्थापित हुई कलश, मंदिरों में पुजारियों ने की पूजा
चैत्र नवरात्र को लेकर घरों में स्थापित हुई कलश, मंदिरों में पुजारियों ने की पूजा

मुजफ्फरपुर : कलश स्थापना के साथ ही मंगलवार को चैत्र नवरात्र का प्रारंभ हो गया। इसबार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मंदिरों में भक्तों के प्रवेश पर रोक है। ऐसे में मंदिरों में केवल पुजारियों ने कलश स्थापना कर मां की आराधना की। पहले दिन मां शैल पुत्री की विधिवत पूजा और आरती की गई। लोगों ने घरों में भी कलश की स्थापना की। पंडितों ने घर में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ पूजा कराया। कई जगह लोगों ने स्वयं भी मां की आराधना की। श्रद्धालुओं ने मां की पूजा के साथ ही उनसे कोरोना महामारी से निजात दिलाने की कामना की। बता दें कि दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी।

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हिदू नववर्ष की शुरुआत पर दिनभर बधाई देते रहे लोग : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिदू वर्ष की प्रथम तिथि है। यह तिथि धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इसके साथ ही मंगलवार को हिदू नववर्ष 2078 का प्रारंभ हो गया। हिदू नववर्ष को विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है। लोगों ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से एक दूसरे को हिदू नववर्ष की शुभकामनाएं दीं। आध्यात्मिक गुरु पं.कमलापति त्रिपाठी प्रमोद बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वर्ष की पहली तिथि होती है। इसी दिन से हिदू मान्यता के अनुसार नए साल की शुरुआत होती है। हिदू नववर्ष के आगमन पर भारत में इसे-इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में जहां चैत्र प्रतिपदा के रूप में नववर्ष को मनाया जाता है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में इसे चैरोबा तो जम्मू-कश्मीर में इसे नवरेह के रूप में मनाया जाता है। वैदिक शास्त्रों और पुराणों के अनुसार सृष्टि के निर्माता भगवान ब्रह्माजी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को इस संसार को रचा था, इसलिए इस पावन तिथि को 'नव संवत्सर' पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। नवरात्र व्रत भी इसी तिथि से प्रारंभ होता है।

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