पश्चिम चंपारण में नेपाली हाथियों के उपद्रव से फसल और इंसानों को बचाएगा सीईपीजी

पश्चिम चंपारण के दो गांवों में शुरुआत 30 लोगों का किया गया चयन अगले माह शुरू होगा प्रशिक्षण दिए जाएंगे हाथियों को भगाने संबंधी उपकरण वन विभाग के साथ मिलकर हाथियों को खदेडऩे में सहयोग करेंगे ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 11:13 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 11:13 AM (IST)
पश्चिम चंपारण में नेपाली हाथियों के उपद्रव से फसल और इंसानों को बचाएगा सीईपीजी
मैनाटांड़ के चकरसन गांव में चयन के दौरान मौजूद ग्रामीण। जागरण

पश्चिम चंपारण, {सुनील आनंद}। नेपाल की सरहद लांघकर भारतीय क्षेत्र में आकर उत्पात मचाने वाले हाथियों पर रोक लगाई जाएगी। इसके लिए सीमा से सटे गांवों में कम्युनिटी एलिफेंट प्रोटेक्शन ग्रुप (सीईपीजी) बनाया जा रहा है। इसके सदस्य नेपाली हाथियों के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते ही गांव के लोगों को अलर्ट करेंगे। साथ ही वन विभाग के साथ मिलकर हाथियों को खदेडऩे में सहयोग करेंगे।

पश्चिम चंपारण की सीमा से सटे नेपाल के चितवन राष्ट्रीय उद्यान से हाथियों का झुंड अक्सर पहुंचकर तबाही मचाता है। फसलों के साथ रिहायशी इलाके तक ये हाथी पहुंच जाते हैं। इसे देखते हुए नेचर इनवायरमेंट वाइल्ड लाइफ सोसाइटी, नई दिल्ली आगे आई है। उसने प्रायोगिक तौर पर जिले के मैनाटांड़ प्रखंड के चकरसन व गौनाहा प्रखंड के भतुजला गांव में 15-15 लोगों का सीईपीजी तैयार किया है। दोनों ग्रुपों को अगले माह प्रथम चरण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद कई सत्रों में नेपाल और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम के एक्सपर्ट से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि उपद्रवी हाथियों के आने पर रेस्क्यू में ये लोग बेहतर ढंग से सहयोग कर सकें। प्रथम दौर के प्रशिक्षण के बाद सभी सदस्यों को हाथियों से सुरक्षा के लिए लांग रेंज टार्च, रिफ्लेक्टर, सीटी, हाथी भगाने वाला स्प्रे, जाल और रस्सी दिए जाएंगे। यह प्रयोग सफल हुआ तो भारत-नेपाल सीमा के समीप बसे और हाथियों से प्रभावित गांवों में अन्य ग्रुप भी बनाए जाएंगे।

बिना स्वार्थ करेंगे सेवा 

किसान सह सीईपीजी ग्रुप के सदस्य विजय उरांव, शेख जैनुल, कामेश्वर यादव और रामू ठाकुर का कहना है कि हाथियों के उत्पात से फसल व जान-माल की क्षति होती है। सुरक्षा के लिए नि:स्वार्थ भाव से योगदान दे रहे हैं। नेचर इनवायरमेंट वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के जिले के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि ग्रुप में गांव के वैसे लोगों को शामिल किया गया है, जिनकी फसलों को नेपाली हाथी क्षति पहुंचाते हैं। ग्रुप के सभी सदस्य जनसहयोग की भावना से जुड़े हैं। यह पूरी तरह से सामाजिक कार्य है। इसके लिए कोई पारिश्रमिक देय नहीं है। इसमें वन विभाग भी सहयोग कर रहा।

हाथियों का उत्पात 11 अगस्त, 2020 को मैनाटांड़ के चकरसन व पुरैनिया गांव के सरेह में नेपाली हाथियों ने धान व गन्ना की फसल को क्षति पहुंचाई। वर्ष 2018 में नेपाल से 18 बार भारतीय क्षेत्र में आया हाथियों का झुंड। गौनाहा के ठोरी गांव में अगस्त 2018 में एक बच्ची को हाथी ने पटक कर मार डाला था। 06 नवंबर, 2013 को मानपुर के इमिलिया टोला में एक युवक को हाथियों ने मार डाला था। 09 दिसंबर, 2012 को गौनाहा के भतुजला में हाथियों ने कई लोगों के घर उजाड़ दिए थे। 07 दिसंबर, 2012 को भंगहा थाना क्षेत्र के सिसवा ताजपुर में नेपाली हाथियों ने दो को कुचल कर मार डाला था। 08 मई, 2010 को हाथियों ने परसौनी गांव में एक व्यक्ति को पटक-पटक कर मार दिया था।

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