केंद्रीकृत हुई एसकेएमसीएच में बच्चा वार्ड व आउटडोर सेवा
एसकेएमसीएच परिसर में ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो की आउटडोर व सर्जरी सेवा की शुरुआत हो गई। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.दीपक कर्ण ने नए भवन के आउटडोर में पहले दिन 56 मरीजों को देखा।
मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच परिसर में ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो की आउटडोर व सर्जरी सेवा की शुरुआत हो गई। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.दीपक कर्ण ने नए भवन के आउटडोर में पहले दिन 56 मरीजों को देखा। एसकेएमसीएच के प्राचार्य ने कहा कि एक माह के अंदर ट्रॉमा सेंटर में इनडोर सेवा भी मिलने लगेगी। इसके साथ सुपर स्पेशलियटी अस्पताल के निर्माण पर भी पूरी नजर रखी जा रही है।
पीकू भवन का किया गया है चयन : एसकेएमसीएच में एक भवन में ही बच्चों के इलाज के हर तरह की व्यवस्था होगी। पीकू भवन का इसके लिए चयन किया गया है। न्यू चाइल्ड यूनिट (एनसीयू) को पीकू भवन के ऊपर शिफ्ट किया जाएगा। एनसीयू 30 बेड का वार्ड होगा। बच्चों का इमरजेंसी वार्ड भी पीकू में शिफ्ट किया जाएगा। पीकू भवन के पास 60 बेड का मातृ-शिशु अस्पताल है। एईएस ग्रस्त बच्चों लिए 100 बेड का आधुनिक पीकू वार्ड का निर्माण 2020 में किया गया था। 26 जनवरी तक पीकू भवन में बच्चों से संबंधित सभी वार्डों को शिफ्ट कर दिया जाएगा। पीकू के नीचे ओपीडी शुरू की जाएगी। एसकेएमसीएच के प्राचार्य सह प्रभारी अधीक्षक डॉ.विकास कुमार ने बताया कि अभी तीन जगहों पर बच्चों का इलाज चल रहा है। नई व्यवस्था के तहत एक जगह पर सारी सुविधा मिलेगी। इसकी तैयारी चल रही है । 26 जनवरी तक बच्चों के सभी वार्डों को पीकू भवन परिसर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि बच्चों के विभिन्न वार्डों को एक जगह करने से एक छत के नीचे 190 बेड हो जाएगा।
अभी एसकेएमसीएच परिसर में बच्चों से संबंधित इमरजेंसी, चाइल्ड वार्ड और मदर चाइल्ड हॉस्पिटल है। पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट अलग-अलग परिसर में है। चिकित्सकों की मौजूदगी कहां है, इसकी जानकारी मरीजों को नहीं होती है। एक ही परिसर में बच्चों का इलाज शुरू होने से संबंधित डॉक्टर की तैनाती हमेशा अस्पताल में रहेगी। इससे बच्चों के इलाज में मदद मिलेगी।