कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ ने दर्ज किया 66.67 लाख की धोखाधड़ी का मामला

2018 में एनटीपीसी के मुख्य निगरानी अधिकारी द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में सीबीआई ने दर्ज किया मामला। तत्कालीन वरीय प्रबंधक समेत चार नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ कार्रवाई।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 01:14 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 01:14 PM (IST)
कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ ने दर्ज किया 66.67 लाख की धोखाधड़ी का मामला
कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ ने दर्ज किया 66.67 लाख की धोखाधड़ी का मामला

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के तीन अधिकारी व एक संवेदक के खिलाफ सीबीआइ ने 66.67 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। 10 दिसंबर 2019 को उपरोक्त कार्रवाई एनटीपीसी के मुख्य निगरानी अधिकारी वीके सक्सेना द्वारा 16 जनवरी 2018 को दिए गए आवेदन के आलोक में की गई है।

मामले में केबीयूएनएल (एनटीपीसी) के तत्कालीन वरीय प्रबंधक संतोष तिवारी, उप प्रबंधक प्रवीण कुमार, अभिषेक भूषण और मेसर्स लाल इंटरप्राइजेज कहलगांव, भागलपुर के मालिक ब्रजमोहन सिंह व अन्य अज्ञात को आरोपित किया गया है। सभी पर आइपीसी की धारा- 120 बी, 420, 467, 468, 471, 13(2), 13 (1) (डी) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

आरोप है कि सभी ने सरकारी सेवक के तौर पर काम करने के दौरान मिलकर आपराधिक षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी की। फर्जी कागजातों का प्रयोग वास्तविक के तौर पर कांटी में स्थित संस्थान की आंतरिक मरम्मत के लिए होनेवाले कार्य के ठेके से लेकर कार्य कराने में किया। मामला दर्ज करने के साथ सीबीआई की टीम ने आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

ऐसे सामने आया मामला

एसपी सीबीआई पटना अभिषेक शांडिल्य द्वारा दर्ज किए गए मामले में बताया गया है कि 16 जनवरी 2018 को एनटीपीसी के मुख्य अधिकारी ने अपने आवेदन में कहा है कि कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड एनटीपीसी और बीएसईबी (अब अस्तित्व में नहीं) का साझा उपक्रम है। इसके अधीन कांटी थर्मल पावर स्टेशन का भी संचालन है।

गुप्त सूचना के आधार पर एनटीपीसी कहलगांव की निगरानी टीम ने पूरे प्लांट की वार्षिक मरम्मत के लिए हुए कार्यों की जांच की। संस्था में मरम्मत और इसकी देख-रेख के लिए तीन वित्तीय वर्षों में मेसर्स लाल इंटरप्राइजेज को दी गई निविदा की जांच की गई। इस दौरान 10 अक्टूबर 2012 को 98.482 लाख, 13 सितंबर 2014 को 87.6865 लाख और 4 दिसंबर 2015 को 101.505 लाख की निविदा के तहत होनेवाले कार्यों की जांच हुई।

पकड़ में आई सामग्री मंगाने में की गई गड़बड़ी

जांच के दौरान टीम ने गेट पास, इंट्री सीट, चालान, खरीद-पर्ची, माप पुस्तिका, चालू खाता विपत्र व सीआइएसफ का रिकार्ड देखा। इस दौरान पता चला कि यहां काम के लिए लाई जानेवाली सामग्री व अन्य चीजों की मात्रा चालान व गेट पास में फर्जी तरीके से बढ़ाई गई।

सीआइएसफ की संचिका में जिक्र नहीं

जांच के दौरान ये बात भी सामने आई कि कई ऐसी सामग्रियों के मूल्य का भुगतान ऐसी पर्ची पर किया गया, जिनकी इंट्री यहां तैनात सुरक्षा एजेंसी सीआइएसफ की संचिका में नहीं है। बात यहीं खत्म नहीं हुई अधिकारियों ने काम को पूर्ण बताते हुए पूरा भुगतान भी कर दिया।

सीबीआई ने शुरू की कार्रवाई

एनटीपीसी के मुख्य निगरानी अधिकारी द्वारा दिए गए आवेदन में वर्णित तथ्यों की जांच के दौरान सीबीआई ने संबंधित लोगों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाए हैैं। बताया गया है कि सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिए ठोस साक्ष्य इस मामले में हैैं। सीबीआइ संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तमाम आवश्यक प्रक्रिया पहले ही पूरी कर चुकी है।  

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