एईएस के कारण का नहीं चला पता, मुजफ्फरपुर में हर साल जा रही बच्चों की जान
एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि गर्मी के दिन में ज्यादा मरीज आते हैं। उसके बाद एक-दो मरीज ही आते हैं। इस साल अबतक 38 बच्चे बीमार होकर आए। उसमें से छह की मौत हो गई है।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरपुर में हाल के महीनों में टीबी के रोगी बढ़े हैं। इनकी संख्या 534 पर पहुंच गई है। इसी तरह एईएस भी एक ऐसी बीमारी है जो गर्मी में बच्चों के लिए काल बनकर आती है। एसकेएमसीएच में इलाज कराने आए शिवहर के मुकेश कुमार ने बताया कि उसके बच्चा रात को ठीक से खाना खाकर सोया। लेकिन सुबह में उसको चमकी-बुखार होने के बाद बेहोश हो गया। उसके लेकर अस्पताल आए। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि गर्मी के दिन में ज्यादा मरीज आते हैं। उसके बाद एक-दो मरीज ही आते हैं। इस साल अबतक 38 बच्चे बीमार होकर आए। उसमें से छह की मौत हो गई है।
इस तरह से चल रहा शोध
आइसीएमआर के सहयोग से एम्स जोधपुर के नवजात शिशु रोग विभागाध्यक्ष व स्वास्थ्य मंत्रालय के आरबीएसके के सलाहकार डा.अरुण कुमार सिंह शोध कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर लीची का इलाका है इसलिए कई लोग इस बीमारी का कारण लीची से जोड़कर देखते रहे हैं। लेकिन डा.अरुण इस बात को एक सिरे से खारिज करते है। कहा कि जो बच्चे इस बीमारी की जद में आ रहे उनका माइटोकाण्ड्रिया प्रभावित होता है। जो उनके मौत का कारण बन रहा है। गर्मी इसका कारण बन रहा है। जब गर्मी 39-40 डिग्री से ज्यादा एक सप्ताह तक रहती तो यह बीमारी होती है। बरसात होने के साथ कम हो जाती है। अब वह शोध कर रहे कि गर्मी किस तरह से बच्चों के माइटोकाण्ड्रिया को प्रभावित कर रहा है। फिलहाल इस बीमारी का कारण गर्मी, गांव व गरीबी, कुपोषण मुख्य कारण है। जिसको आधार बनाकर शोध किया जा रहा है। शोध पूरा होने पर पूरी रिपोर्ट व बचाव के सुझाव के साथ आइसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को भेज दी जाएगी। वहां से सरकार से निदान के लिए समन्वय बनाया जाएगा। अभी कारण पता नहीं होने से लक्षण के आधार पर इलाज हो रहा है।
अभी जो शोध हो रहा उसमें डा.पंकज झा, डा.नीरज कुमार, केयर इंडिया के जिला समन्वयक सौरभ तिवारी व उनकी पूरी टीम का सहयोग मिल रहा है।
बीमारी के लक्षण
तेज बुखार, चमकी और बेहोश होना तथा मुंह से झाग आ जाना।
साल----मरीज--मौत-स्वस्थ
2010-71--27---44
2011-149-55---94
2012--463--184-279
2013-171--62-109
2014--865-162-703
2015--97--20--77
2016--47--09--38
2017--49-21---28
2018- 50---15--35
2019--610--167--443
2020--43--7---36
2021----38-6----32