धोखाधड़ी में फंसे प. चंपारण के पूर्व डीडब्ल्यूओ, केस दर्ज
अनुसूचित जाति व जनजाति आवासीय विद्यालयों में हुए वित्तीय घोटाले का। डीएम के आदेश पर आठ सदस्यीय टीम ने की थी जांच। भोजपुर जिले के निवासी हैैं आरोपित आशुतोष शरण। वर्ष 2019 में हुई थी 15 लाख रुपये की गड़बड़ी।
बगहा (प. चंपारण), संस। बगहा अनुमंडल क्षेत्र के पांच अनुसूचित जाति-जनजाति आवासीय विद्यालयों में दैनिक उपयोग की सामग्री की खरीद में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी में पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी ( डीडब्ल्यूओ) आशुतोष शरण फंस गए हैैं। बताया गया कि करीब 15 लाख रुपये की गड़बड़ी वर्ष 2019 में आशुतोष शरण की जानकारी में हुई। मामला सामने आया तो प्रशासन सक्रिय हुआ। डीएम कुंदन कुमार के आदेश पर बगहा के तत्कालीन एसडीएम विजय प्रकाश मीणा ने आठ सदस्यीय जांच टीम बनाई। जांच में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद वर्तमान जिला कल्याण पदाधिकारी मनोज कुमार ने आशतोष शरण के खिलाफ शुक्रवार को बगहा नगर थाने में धोखाधड़ी व वित्तीय गड़बड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई। प्रशिक्षु डीएसपी सह नगर थानाध्यक्ष राहुल सिंह ने कहा कि पुलिसिया कार्रवाई तेज कर दी गई है। आरोपित आशुतोष शरण भोजपुर जिले के बड़हरा थाने के पिपरपाती निवासी हैैं।
अधिक वाउचर लगाकर हुई थी राशि की निकासी
प्राथमिकी के मुताबिक, अनुसूचित जाति, जनजाति आवासीय विद्यालय कदमहवा, चौतरवा, सिधांव, रामनगर के मधुबनी में जग, डस्टबिन, अलमीरा, बर्तन आदि की खरीदारी हुई थी। कम कीमत की सामग्री खरीदारी के बाद अधिक कीमत का वाउचर लगा राशि की निकासी कर ली गई। इसकी शिकायत मिलने के बाद वर्ष 2019 में तत्कालीन एसडीएम विजय प्रकाश मीणा ने जांच टीम का गठन किया। सभी विद्यालयों की जांच का आदेश दिया था। टीम ने एक साथ सभी विद्यालयों में जांच की। इसकी रिपोर्ट तत्कालीन एसडीएम ने संबंधित विभाग को भेजी। इसके बाद निदेशक, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सदर अस्पताल में एचआइवी जांच बाधित, लौट रहे लोग
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर = सदर अस्पताल में एचआइवी जांच के साथ सिपलिस टेस्ट पिछले दो माह बाधित है। इसके कारण लोग रोज लौट रहे है। शनिवार को कई महिलाएं बिना जांच लौट गई। जानकारी के अनुसार स्वस्थ्य मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि सभी गर्भवती महिलाओं, यक्ष्मारोगियों और उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को स्वास्थ्य केंद्रों में एचआईवी और सिफलिस जांच की जाएगी। सदर अस्पताल में एचआईवी जांच व सिफलिस जांच नहीं की जा रही है ऐसे इस बीमारी के संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है।