मधुबनी में पॉलीथिन के खिलाफ अभियान, बांट रहे कपड़े का झोला

मधुबनी के एक दर्जन युवा तीन साल से बांट रहे निशुल्क झोला। 15 हजार से अधिक झोले का कर चुके वितरण खर्च खुद वहन करते। सब्जी सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी कर रहे लोगों को झोला देकर प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग नहीं करने की अपील करते हैं।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 09:39 AM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 09:39 AM (IST)
मधुबनी में पॉलीथिन के खिलाफ अभियान, बांट रहे कपड़े का झोला
मधुबनी के युवा समाजसेवी टिंकू कसेरा ने तीन साल पहले पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल की।

मधुबनी, [राजीव रंजन झा]। जिले को पॉलीथिनमुक्त बनाने का संकल्प लिए कुछ युवा अभियान चला रहे हैं। लोगों को न केवल पॉलीथिन के प्रयोग के खतरनाक प्रभावों से अवगत करा रहे, बल्कि इसके उपयोग को रोकने के लिए निशुल्क कपड़े का झोला भी बांट रहे। 

मधुबनी के युवा समाजसेवी टिंकू कसेरा ने तीन साल पहले पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल की। धीरे-धीरे एक दर्जन युवा जुड़ गए। शुरुआती एक वर्ष उनकी टीम हर सुबह झोले लेकर स्थानीय सब्जी बाजार में निकल पड़ती थी। सब्जी सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी कर रहे लोगों को झोला देकर प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग नहीं करने की अपील करती थी। पॉलीथिन के खिलाफ अभियान का एक साल में असर दिखने लगा। इसके बाद झोला बांटने का क्रम सप्ताह में तीन दिन कर दिया गया। अभी यह अभियान हर रविवार को चलाया जा रहा है।

अब तक 35 हजार खर्च

युवाओं का दल वर्ष 2018 से अब तक 35 हजार रुपये खर्च कर 15 हजार से अधिक झोले बांट चुका है। हर महीने करीब 400 लोगों से संपर्क करते हैं। टिंकू बताते हैं कि इस पर आने वाला खर्च मिलकर वहन करते हैं। स्थानीय बाजार से झोले की खरीदारी करते हैं।

अभियान का दिखने लगा असर

दल में शामिल प्रशांत कुमार व प्रेम शंकर झा का कहना है कि सब्जी मंडी और मांस-मछली की दुकानों पर प्लास्टिक थैले का ही इस्तेमाल होता है। टीम ने इस क्षेत्र को लक्षित कर झोला बांटने का अभियान चलाया। इसका असर है कि लोग अब खरीदारी के लिए घर से झोला लेकर निकलने लगे हैं। शहर के संदीप कुमार व मनीष कुमार इनमें से एक हैं। इन युवाओं की पहल पर अब बाजार जाते समय झोला लेकर निकलते हैं। इनका कहना है कि इन युवाओं के प्रयास से लोगों को प्लास्टिक का नुकसान समझ में आ रहा है। मधुबनी विधायक समीर कुमार महासेठ का कहना है कि पॉलीथिन का प्रयोग हर स्तर पर खतरनाक है। नालों में जमा होकर जलजमाव का कारण बनता है। इसके खिलाफ अभियान सराहनीय है। 

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