इस श्रावण में भी टूट गई आस, फूल-प्रसाद का व्यापार हुआ चौपट

पिछले साल से ही कर्ज लेकर किसी तरह जीवन की नैया को खींच रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 02:18 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 02:18 AM (IST)
इस श्रावण में भी टूट गई आस, फूल-प्रसाद का व्यापार हुआ चौपट
इस श्रावण में भी टूट गई आस, फूल-प्रसाद का व्यापार हुआ चौपट

मुजफ्फरपुर : पिछले साल से ही कर्ज लेकर किसी तरह जीवन की नैया को खींच रहे थे। इस साल के श्रावण में भी बाबा गरीबस्थान में लगने वाले मेले की आस टूट गई। फूल-प्रसाद का व्यापार हुआ चौपट, कर्ज लेकर चला रहे घर के खर्च। गरीब स्थान के आसपास छोटे-छोटे दुकानदारों की व्यथा है। मां अंबे नैवेद्यम भंडार के शंकर चौधरी, विनोद भगत, सत्येंद्र कुमार, बबलू कुमार आदि ने बताया कि श्रावण के मौके पर लाखों कांवर यात्री आते थे। तब 300 से 400 छोटे-बड़े फूल-प्रसाद की दुकानें खुल जाती थीं। पिछले दो सालों से सभी जिले की मंदिर मिलाकर 25 से 30 दुकानें फूल-प्रसाद आदि की होगी। कांवर यात्रा नहीं होने के कारण फूल भी नहीं मंगा रहे। केवल शादी-ब्याह में ही फूलों के इस्तेमाल हो रहा। गरीबस्थान मंदिर में बार से लोग फूल-प्रसाद के साथ बाबा को प्रणाम करते थे। इस बार वह भी खत्म हो गया। गेट के बाहर लोहे की जाली लगा दी गई। इस कारण अब कोई श्रद्धालु भी नहीं आते। आने वाला समय काफी खराब ही आ रहा।

फूल- प्रसाद वाले कमा लेते थे 5 से 6 लाख रुपये

फूल-प्रसाद विक्रेता शंकर चौधरी ने बताया कि एक-एक दुकानदारों को श्रावण के समय पांच से छह लाख रुपये की कमाई होती थी। लेकिन पिछले दो साल से लाकडाउन के कारण सारी चीजें ठप हैं। श्रावण मास की कमाई फूल-प्रसाद विक्रेता सालों भर के घर के खर्च निकाल लेते थे। लेकिन पिछले दो सालों से सभी की हालत बहुत खराब है। फूल-प्रसाद बेचने वाले कोई काम भी नहीं कर सकते। बेरोजगारी के आलम में सरकार को कुछ करना चाहिए।

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