मुजफ्फरपुर में इस साल आधा हुआ व्यापार फिर भी करीब 25 करोड़ का बिकेगा कबाड़

Muzaffarpur news एक कबाड़ी 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुटा लेता कबाड़ लाकडाउन के पहले त्योहार के इस मौसम में एक दिन में कमा लेते थे 10 से 15 हजार रुपये अब हजार-दो हजार रुपये कमाना भी आफत।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:14 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 08:14 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में इस साल आधा हुआ व्यापार फिर भी करीब 25 करोड़ का बिकेगा कबाड़
मुजफ्फरपुर में एक दुकान पर ब‍िक्री के ल‍िए रखा कबाड़़।

मुजफ्फरपुर, जासं। दीपावाली में सोना, चांदी, बर्तन और गाडिय़ों सहित अन्य सामान बेच कर जहां कारोबारी माला-माल होते हैं वहीं लोगों के घरों से कबाड़ खरीद कर कई कबाड़ी लखपति और करोड़ पति बनते हैं। कई कबाड़ गोदाम में एक सप्ताह पहले पानी हटा है फिर भी मोहल्ले, गैरेज वाले, वाहनकर्मी गाडिय़ों के कबाड़ की बिक्री कर रहे हैं। इस बार करीब 25 करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान हैं। धनतेरस और दिवाली के इस दस दिनों में शहर के लोगों पांच करोड़ से ज्यादा का कबाड़ अपनी घरों से सफाई के दौरान कबाडिय़ों के हाथों बेच दिया।

दीपावली के दस दिन पहले से ही लोग अपनी घरों की सफाई शुरू कर देते हैं। सफाई में लोहा, प्लास्टिक, पेपर सहित अन्य सामान लोग कबाडिय़ों के हाथों बेच देते हैं। हजारों की संख्या में मोहल्ले-मोहल्ले घूम रहे कबाड़ी के लोग इन्हें बंटोरने के साथ औने-पौने दाम में खरीद रहे हैं। शहर में कबाड़ का काम करने वाले सैकड़ों खरीदारों के यहां ले जाकर ये लोग कबाड़ बेच देते हैं। मोहल्ले से कबाड़ खरीद रहे एक ठेला भेंडर कन्हाई, सोनु कुमार ने बताया कि, लॉकडाउन के पहले त्योहार के इस मौसम में एक दिन में दस से 15 हजार रुपये कमा लेते थे। इस बार डेढ़ से दो हजार रुपये की कमाई में ही सिमट जा रहे।

शहर की चांदनी चौक कबाडिय़ों का सबसे बड़ी मंडी

जिले में करीब 1000 कबाड़ की दुकानें हैं। शहर में करीब 500 कबाड़ी दुकानें हैं। शहर की चांदनी चौक यहां से सबसे बड़ा कबाड़ की मंडी है। वहां ट्रक से लेकर कार तक कबाड़ मंडी में बिक जाते हैं। सभी स्क्रैप को अलग कर विभिन्न शहरों में भेजा जाता है। लॉकडाउन और बारिश की वजह से कबाड़ का व्यापार थोड़ा चौपट हुआ। लेकिन दस दिनों में इधर स्थिति अ'छी हो रही है। कबाड़ व्यापारी अविनाश कुमार ने बताया कि, एक दिन में 500 हजार से एक लाख रुपये तक के कबाड़ खरीद रहे हैं। छठ बाद यह व्यापार मंदा हो जाएगा। लॉकडाउन के बाद कुछ लोग कबाड़ को फेंक दिए तो कुछ लोग पहले ही हटा दिए। इसलिए कबाड़ भी कम मिल रहा। दीपावली के इस मौसम में दो दर्जन से अधिक दुकानें खुल जाती हैं और छठ के बाद पैसे कमा कर इस व्यापार को बंद कर देते हैं।

कबाड़ को भेजा जाता दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब

एक व्यापारी 10 लाख से कम का काम नहीं खरीदता। पेपर, कॉपी, प्लास्टिक, लोहा आदि की छंटाई कर अलग-अलग प्रदेशों में भेजा जाता है। वहां के कबाडिय़ों से फैक्ट्री वाले लेकर अलग-अलग सामग्री तैयार करते हैं। चांदनी चौक के एक कबाड़ी सुलेमान ने बताया कि, इस बार व्यापार आधा हो गया है। उन्होंने कहा कि रद्दी पेपर, कॉपी, किताब को उतराखंड, लोहा को पंजाब के गोङ्क्षवदगढ़ मंडी और प्लास्टिक को दिल्ली के मंडियों में भेजते हैं। वहां से फैक्ट्री वाले ले जाते हैं। दिवाली में दस दिन का व्यापार होता है, इसके लिए को मजदूर बुला लेते हैं, गली मोहल्लों में कबाड़ लेने के लिए भेजा जाता है। अन्य दिनों की अपेक्षा दीपावली में व्यापार बढ़ जाता है।

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