BRABU pg admission 2020: पीजी के लिए 20 को जारी होगी केंद्रीकृत मेधा सूची, 21 से नामांकन
BRABU pg admission 202016 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने किया आवेदन। इतिहास और वाणिज्य में आवेदकों की संख्या सबसे अधिक। छात्र-छात्राएं 21 जून से सभी पीजी विभागों और कॉलेजों में नामांकन ले सकेंगे। 15 जून तक छात्र-छात्राओं को आवेदन करने का मौका है।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में सत्र 2020-22 में पीजी में दाखिले के लिए मेधा सूची 20 जून को जारी की जाएगी। छात्र-छात्राएं 21 जून से सभी पीजी विभागों और कॉलेजों में नामांकन ले सकेंगे। 15 जून तक छात्र-छात्राओं को आवेदन करने का मौका है। इसके बाद विभाग केंद्रीकृत मेधा सूची तैयार करने में जुटेगा। यूएमआइएस विभाग की ओर से बताया गया है कि अबतक 16 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने नामांकन के लिए आवेदन किया है। अभी तीन दिनों का समय और शेष है। यूएमआईएस कोऑर्डिनेटर प्रो.ललन झा ने कहा कि जिन छात्रों ने अबतक आवेदन नहीं किया है उनके पास अंतिम मौका है। इसके बाद आवेदन की तिथि विस्तारित नहीं की जाएगी। छात्रों को मेधा सूची में आवंटित कॉलेजों में ही नामांकन लेना होगा। यदि वे पहली सूची के आधार पर नामांकन नहीं ले पाते हैं तो उनका दावा समाप्त कर दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसबार भी इतिहास और वाणिज्य में आवेदकों की संख्या सबसे अधिक है। मनोविज्ञान, जूलॉजी, गणित, भूगोल, राजनीतिविज्ञान और भौतिकी में भी काफी आवेदन प्राप्त हुए हैं। वहीं भाषा के विषयों में छात्रों की रुचि कम है। खासकर पर्सियन, मैथिली, बांग्ला, दर्शनशास्त्र, संस्कृत, संगीत और एआइएच एंड सी में आवेदकों की संख्या एक सौ से भी कम है। बता दें कि विवि में पीजी के लिए 5350 सीटें निर्धारित हैं। ऐसे में अधिक आवेदन वाले विषयों का कटऑफ काफी अधिक होगा। पिछले वर्ष भी काफी छात्र-छात्राएं अधिक कटऑफ के कारण नामांकन लेने से वंचित रह गए थे।
दूसरे संकाय में भी ले सकते आवेदन
विवि की ओर से इसबार से छात्रों को दूसरे संकाय और विषयों में भी नामांकन लेने की छूट दी गई है। दूसरे संकाय से स्नातक करने वाले छात्र अपना संकाय बदलकर दूसरे विषयों में भी दाखिला करा सकते हैं। शर्त यह होगी कि जिन विषयों में प्रायोगिक परीक्षा होगी उनका विकल्प नहीं ले सकते। आटर््स के छात्र को अपने ही संकाय के दूसरे विषय को चुनने की छूट होगी। वहीं साइंस और कॉमर्स के छात्र संकाय भी बदल सकेंगे। दूसरे विश्वविद्यालयों में यह प्रणाली पूर्व से ही लागू है। इसी के तर्ज पर विवि ने इसे शुरू किया है।