BRABU, Muzaffarpur: पांच सौ मीटर की दूरी, सात वर्षों में भी नहीं हुई पूरी

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेतिया बगहा सीतामढ़ी शिवहर और वैशाली से पहुंचने वाले अभ्यर्थियों की क्या हालत होगी। जबकि विवि की ओर से आवेदन के 30 से 40 दिनों के भीतर डिग्री तैयार कर कालेज में भेज देने का दावा किया जा रहा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 11:48 AM (IST)
BRABU, Muzaffarpur: पांच सौ मीटर की दूरी, सात वर्षों में भी नहीं हुई पूरी
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में कई वर्षों से डिग्री के आवेदन के बाद हो रहा गोलमाल।

मुजफ्फरपुर, [अंकित कुमार]। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में सात वर्ष पूर्व आवेदन करने के बाद भी अभ्यर्थी को अबतक डिग्री नहीं मिली। आश्चर्य तो यह है कि सात वर्ष बीत जाने के बाद डिग्री पांच सौ मीटर की दूरी भी तय नहीं कर सकी। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेतिया, बगहा, सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली से पहुंचने वाले अभ्यर्थियों की क्या हालत होगी। जबकि, विवि की ओर से आवेदन के 30 से 40 दिनों के भीतर डिग्री तैयार कर कालेज में भेज देने का दावा किया जा रहा। मामला एलएस कालेज में संस्कृत पीजी में सत्र 1996-98 के छात्र रहे भाग्य नारायण झा से जुड़ा है। पेशे से शिक्षक भाग्य नारायण ने 27 नवंबर 2014 को बैंक चालान के माध्यम से डिग्री के लिए आवेदन किया।

विवि ने डिग्री एक महीने के भीतर कालेज को भेजने की बात कही। कुछ दिन बीतने पर जब भाग्यनारायण विवि पहुंचे तो कोई स्टेटस नहीं मिला। कालेज जाने पर कहा गया कि डिग्री नहीं आई है। तीन वर्ष पूर्व 15 मई 2018 को भाग्य नारायण ने स्नातक की डिग्री के लिए उसी माध्यम से आवेदन दिया, उसका भी कोई अता-पता नहीं। उन्होंने बताया कि अब विवि के अधिकारी कह रहे कि फिर से शुल्क जमा करना होगा। ऐसे में विवि की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा। एक तो आवेदन के सात वर्ष बाद भी डिग्री नही बनी और अब फिर दोबारा शुल्क लिया जा रहा। यह मामला अकेले भाग्य नारायण का नहीं है।

विवि में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में ऐसे विद्यार्थी पहुंच रहे जिन्होंने चार-पांच वर्ष पूर्व डिग्री के लिए आवेदन दिया पर आजतक डिग्री नहीं मिली। कई आवेदकों ने यह शिकायत भी की है कि उनकी डिग्री कोई और ले गया। कई आवेदकों को डिग्री के लिए चक्कर काटने के क्रम में बिचौलियों का शिकार होना पड़ा है। साइंस कालेज के सौरभ सुमन ने बताया कि 2016 में उन्होंने और उनके एक मित्र ने एक साथ आवेदन किया था। उनके मित्र ने बिचौलिये के माध्यम से डिग्री प्राप्त कर ली, पर वे चक्कर काटते रहे। कहा कि परिसर में सक्रिय बिचौलिये डेढ़ से दो हजार रुपये लेते हैं तो आसानी से डिग्री मिल जाती है, अन्यथा वर्षों तक चक्कर लगाना पड़ता है। कई बिचौलिये तो पैसा लेकर रफ्फूचक्कर भी हो जाते हैं। परीक्षा नियंत्रक डा.संजय कुमार ने कहा कि आवेदक की ओर से ऐसी शिकायत नहीं मिली है। यदि चालान के माध्यम से शुल्क जमा हुआ होगा तो डिग्री मिलनी चाहिए। आवेदक को चाहिए कि चालान की कापी के साथ अंकपत्र लगाकर काउंटर पर जमा करा दें उन्हें एक महीने के भीतर डिग्री मिल जाएगी। आवेदकों को चाहिए कि बिचौलिये के चक्कर में नहीं पड़ें, सीधे परीक्षा विभाग या परीक्षा नियंत्रक से संपर्क करें।  

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