BRABU, Muzaffarpur: जूलॉजी विभाग के तालाब में 35 वर्ष बाद मछली उत्पादन शुरू
BRABUMuzaffarpur विभागाध्यक्ष डॉ.मनेंद्र कुमार ने बताया कि पानी की पीएच को ठीक रखने के लिए इसमें चूना व मछलियों के पोषण के लिए सरसों की खली डालकर तालाब को उत्पादन के लायक बनाया गया है। इससे पूर्व तालाब से मांसाहारी मछलियों जैसे गरई कबई आदि को हटाया गया।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पीजी जूलॉजी विभाग में तालाब की उड़ाही पूरी कर ली गई है। करीब 35 वर्ष बाद तालाब की साफ-सफाई के बाद उस में मछली उत्पादन शुरू किया गया है। इससे विभाग को दोहरा लाभ मिलेगा । मछली उत्पादन से होने वाले आए आए को विभाग के विकास में लगाया जाएगा । वहीं एमएससी फीस एंड फिशरीज के छात्र-छात्राएं व जूलॉजी के शोधार्थी मछली की विभिन्न प्रजातियों पर इसमें शोध कार्य करेंगे ।
100 ग्राम की छोटी-छोटी मछलियां डाली गईं
विभागाध्यक्ष डॉ.मनेंद्र कुमार ने बताया कि पानी की पीएच को ठीक रखने के लिए इसमें चूना वह मछलियों के पोषण के लिए सरसों की खली डालकर तालाब को उत्पादन के लायक बनाया गया है। इससे पूर्व जाल की मदद से तालाब से कुछ मांसाहारी मछलियों जैसे गरई, कबई आदि को हटाया गया । नए सिरे से तालाब में रोहू,कतला, नैनी समेत अन्य 100 ग्राम की छोटी-छोटी मछलियां डाली गई । 3 से 4 महीने बाद प्रत्येक मछली डेढ़ से 2 किलो की हो जाएगी। इसे निकालने से विभाग का आज भी बढ़ेगा और शोध कार्यों को बढ़ावा भी मिलेगा। तालाब के सौंदर्यीकरण को लेकर भी विभाग ने योजना बनाई है ।
समय-समय पर विशेषज्ञों को बाहर से बुलाया जाएगा
डॉ. मनेंद्र ने बताया कि वे विभाग के प्राध्यापक डॉ.शिवानंद सिंह समेत एमएससी फिश एंड फिशरीज के छात्र-छात्राएं व शोधार्थियों की मदद से मछली की नई प्रजातियों पर शोध भी करेंगे। बताया कि या तालाब करीब 30-35 वर्षों से बेकार पड़ा हुआ था। इस कारण छात्र छात्राएं शोध से भी वंचित हो रहे थे। साथ ही विभाग को आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पा रहा था। अब नियमित अंतराल पर मछलियों का उत्पादन होगा। समय-समय पर विशेषज्ञों को बाहर से बुलाया जाएगा। विभाग में सेमिनार व कार्यशाला का आयोजन कर छात्र छात्राओं को मछली उत्पादन के विषय में जानकारी दी जाएगी।