BRA Bihar University, Muzaffarpur: 10 वर्षों का टीआर हुआ डिजिटल, हमेशा सुरक्षित रहेगा विद्यार्थियों का डाटा
परीक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अबतक 2018 से 2009 तक के टीआर को डिजिटल कर दिया गया है। 2000 तक के टीआर को स्कैनिंग के लिए भेज दिया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से विशेष साफ्टवेयर की खरीद होगी।
मुजफ्फरपुर, जासं। BRA Bihar University, Muzaffarpur: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के टीआर (टेबुलेङ्क्षटग रजिस्टर) को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों को डिग्री और अन्य प्रमाणपत्र मिलने में समय नहीं लगेगा। साथ ही छात्र-छात्राओं का डाटा विवि में हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाएगा। परीक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, अबतक 2018 से 2009 तक के टीआर को डिजिटल कर दिया गया है। 2000 तक के टीआर को स्कैनिंग के लिए भेज दिया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से विशेष साफ्टवेयर की खरीद होगी। इसमें इसके डाटाबेस का पूरा बैकअप रहेगा। अभी 1990 के पूर्व की डिग्री बनाने के लिए आवेदन आ रहा है। डिग्री जारी करने से पूर्व टीआर से मिलान करना होता है। इनको निकालने और पलटने में ही पुराना होने के कारण कागज फटने लगता है। जबकि विवि में इससे भी काफी पुराने टीआर रखे हैं।
कर्मचारियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
टीआर के डिजिटल होने के बाद प्रमाणपत्र और डिग्री निकालने में आसानी होगी। इसके लिए विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। विद्यार्थी जैसे ही प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन करेंगे। डिजिटल डाटाबेस से उसका मिलान कर आसानी से उसे तैयार किया जा सकेगा। प्रोविजनल और माइग्रेशन एक से दो दिनों और डिग्री 10 दिनों में विद्यार्थियों को मिल जाएगी। परीक्षा नियंत्रक डा.संजय कुमार ने कहा कि 10 वर्षों का टीआर डिजिटल हो गया है। 2000 तक के टीआर को स्कैङ्क्षनग में भेजा गया है। विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि अबतक के सभी टीआर को स्कैन कर डिजिटल कर दिया जाए। इससे विभाग के कर्मियों और विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। साथ ही इसके क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा नहीं होगा। 40 वर्ष पुूराना टीआर काफी जर्जर हो चुका है। इसे निकालने में भी कागज फट रहा है।