पोषण पुनर्वास केंद्र पर बाहरी टेक्नीशियन बुलाकर चढ़ाया ब्लड, हालत बिगडऩे पर एसकेएमसीएच रेफर
कुपोषित बच्चों के इलाज का बुरा हाल सीएस ने मांगी रिपोर्ट दो एएनएम को बुलाया। एक जुलाई से कुपोषित व बीमार बच्चे को लेकर दत्तक गृह के कर्मी रहे परेशान। पूरे मामले में सिविल सर्जन ने उपाधीक्षक से मांगी रिपोर्ट। जिले में 128 बच्चे चिह्नित।
मुजफ्फरपुर, जासं। सदर अस्पताल परिसर में चल रहे पोषण पुनर्वास केंद्र पर दत्तक गृह से आए कुपोषित बच्चे को ब्लड चढ़ाने के लिए निजी कर्मी का सहारा लेना पड़ा। बच्चे की हालत में सुधार नहीं होने के बाद उसे एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया। बच्चे के अनाथ की तरह इलाज की जानकारी मिलने के बाद सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने नाराजगी जताते हुए पूरी रिपोर्ट मांगी है।
सीएस ने कहा कि जो जिस काम के लायक कर्मी है उसकी सेवा उस जगह पर लेनी है। खून चढ़ाने की जानकारी नहीं रहने वाले कर्मी को किस तरह से लगाया गया यह जांच का विषय है। पोषण पुनर्वास केंद्र पर 20 बेड हैैं, लेकिन सभी खाली रहते हैं। जिले में 128 कुपोषित बच्चे चिह्नित हैैं। सभी को यहां भर्ती कराया जाए तो बेड कम पड़ेंगे। बेड खाली व कुपोषित बच्चों का यहां नहीं आना स्वास्थ्य विभाग व पोषण पर काम करने वाली संस्था की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है।
इस तरह से चला घटना क्रम
अनाथ बच्चों के लिए चल रहे दत्तक गृह में दो साल छह माह के एक बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ी। उसे वहां का कर्मी सीधे एसकेएमसीएच ले गया। वहां से इलाज के बाद दवा देकर वापस भेज दिया गया। इस बीच कर्मी उसे लेकर सदर अस्पताल आए। एक जुलाई को चिकित्सक ने देखा। उसे भर्ती कराने की सलाह दी। दो जुलाई को जब बच्चे को भर्ती कराने दत्तक गृह का कर्मी आया तो वहां पर दो बजे के बाद एएनएम नहीं मिली। वह अपनी पाली पर काम खत्म करने के बाद चली गई थीं। तीन जुलाई को उसका इलाज शुरू हुआ।
खून जांच व चढ़ाने को इधर से उधर दौडऩे की नौबत
खून चढ़ाने की नौबत पर एएनएम ने पैथोलाजी विभाग से संपर्क किया। वहां से कहा गया कि सिङ्क्षरज खरीद कर दें तो खून का नमूना लिया जाएगा। एएनएम के उपाधीक्षक से शिकायत करने पर उनके हस्तक्षेप पर पैथोलाजी के कर्मी ने सिङ्क्षरज उपलब्ध कराकर खून का नमूना लिया। इसके बाद जब ब्लड चढ़ाने की नौबत आई तो पोषण पुनर्वास केंद्र पर तैनात कर्मी को परेशानी हुई। इसकी सूचना मिलने के बाद एक निजी कर्मी को बुलाकर खून चढ़ाया गया। बच्चे की हालत में सुधार नहीं होने पर टीबी की जांच कराई गई। इस बीच सिविल सर्जन को जानकारी मिली तो उन्होंने उसे तुरंत रेफर करने का आदेश दिया।
लापरवाही पर होगा सख्त एक्शन
सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र पर केवल कुपोषित बच्चे को रखना है। बीमार को वार्ड में रखकर इलाज होना चाहिए। दत्तक गृह के बच्चे के इलाज में लापरवाही गंभीर बात है। उपाधीक्षक से रिपेार्ट मांगी गई है। जो लापरवाह होंगे उनपर सख्त एक्शन होगा। तत्काल वहां पर दो एएनएम को बुलाया गया है ताकि 24 घंटे बच्चों का इलाज हो। कुपोषित बच्चे जिनकी पहचान हो गई है सभी को लाकर यहां पर देखरेख हो इसके लिए सभी पीएचसी प्रभारी से समन्वयक बनाया जाएगा।
कुपोषित बच्चों की संख्या
प्रखंड----कुपोषित बच्चे
औराई----33
बंदरा----41
बोचहां---29
कांटी---23
कुढऩी----62
मड़वन---10
साहेबगंज--41
मीनापुर--33
मोतीपुर---58
मुरौल---14
पारू----26
सकरा---9
सरैया---45
शहर---4
पोषण पुनर्वास केंद्र पर वर्षवार आंकडा (जुलाई तक)
वर्ष----बच्चे
2018---48
2019---125
2020---102
2021--- 09