बिहार विधानसभा उपचुनावः मन की बात मन में... 30 को कुशेश्वरस्थान में टूटेगी खामोशी
विधानसभा उपचुनाव को लेकर मतदाता खामोशी साधे हैं। सभी की सुन रहे पर अपना कुछ नहीं बोल रहे हैं। चौक-चौराहों पर मंथन के बीच हवा का रुख तय नहीं हो रहा है। नेताओं के दावों और वादों के बीच मतदाताओं की एक बात- वक्त आने दीजिए सब पता चल जाएगा।
दरभंगा, {संजय कुमार उपाध्याय}। कुशेश्वरस्थान में जितनी चहल-पहल है, मतदाताओं में खामोशी उससे बढ़कर। नेता आ रहे, जा रहे...बड़ी-बड़ी बातेें भी हो रही हैं, लेकिन मतदाता खामोशी साधे हैं। सभी की सुन रहे, पर अपना कुछ नहीं बोल रहे हैं। चौक-चौराहों पर मंथन के बीच हवा का रुख तय नहीं हो रहा है। कहते हैं, मन की बात मन हैं है... 30 को खामोशी टूटेगी। एक बार का गलत फैसला लंबे वक्त तक दर्द देगा, इसलिए समझ-बूझ लेने दीजिए।
मतदाता खामोश, माहौल चुनावी
नेताओं के वादों और दावों के बीच शनिवार को हम जन-मन के बीच पहुंचते हैं। मतदाता भले ही कुछ न कहें, पर माहौल चुनावी है। बडग़ांव के अशोक कुमार सिंंह व कारी कहते हैं...सभी नेताओं की अपनी-अपनी बातें हैं। 'रेडीमेड भाषणÓ दे रहे हैं...। लेकिन जान लीजिए धरातल का काम इस पर भारी पड़ेगा। 30 को जब ईवीएम का बटन खामोशी से दबेगा तो मतगणना के दिन पता चलेगा।
हम बोलेंगे नहीं, हमारा फैसला बोलेगा
आधी आबादी थोड़ी मुखर है, लेकिन बातों में तल्खी है। मन में कई सवाल भी...। कहती हैं, नेताजी मिलें तो पूछेंगे...लेकिन वे तो गाडिय़ों से हाथ हिलाते निकल जाते हैं... पीछे धूल और कीचड़ उछालते...।
बडग़ांव की द्रौपदी देवी कहती हैं, आजादी से लेकर अबतक के चुनावों की अलग-अलग कहानी है। इस बार की कहानी थोड़ी जुदा है। वोट आदमी का अधिकार है। इसका उपयोग गुप्त तरीके से किया जाता है। हम बोलेंगे नहीं, हमारा फैसला बोलेगा। गोपालपुर के मकसूदन यादव कहते हैं, देख लीजिए। हर बार चुनाव में विकास ही मुद्दा होता है। यहां का विकास देख लीजिए, उसकी गति क्या...हिसाब लगा लीजिए।
दीपावली में फूटेंगे पटाखे
बहेड़ा के शिवधारी यादव कहते हैं, वक्त ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। अब मन की बात मन में ही रहने दीजिए। देख रहे हैं- नेताओं की गाडिय़ां कितनी स्पीड में हैं। इस स्पीड के हिसाब से हम नहीं चल पाते। इस बार इस स्पीड को अपने मन के अनुकूल फिर से बनाना है। बुरौली के अधिवक्ता गोङ्क्षवद कुमार तो साफ-साफ कहते हैं, विकास के दावों और जमीन पर काम करने में काफी अंतर होता है। तब लोग नासमझ थे। अब सबके मन की बात सब नहीं समझ सकता। इंतजार कीजिए हमारा फैसला इस बार सही और सटीक होगा। दीपावली में खुशी के पटाखे फूटेंगे।