अपनी दृढ़ता के बल पर दरभंगा की भारती रंजन ने माता-पिता को किया गौरवान्वित

बिहार शिक्षा परियोजना हो या फिर राज्य स्तरीय शिक्षा एवं शोध परिषद दोनों जगहों उन्हें स्वयं को एक मजबूत महिला के रूप में स्थापित करने में काफी परेशानी हुई। खुद राह की बाधाओं को भारती रंजन ने बड़ी सफलता से किनारे किया। सफलता का सफर अनवरत जारी है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 11:44 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 11:44 AM (IST)
अपनी दृढ़ता के बल पर दरभंगा की भारती रंजन ने माता-पिता को किया गौरवान्वित
शिक्षिका भारती ने स्थापित किया मानक, समाज व परिवार को बेटी पर गर्व। फाइल फोटो

दरभंगा, [अबुल कैश नैयर]। शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की प्रथा युगों से हो रही है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के रूप की पूजा होती है। शैलपुत्री अर्थात जो दिव्य चेतना के उच्चतम शिखर तक आत्मा को ले जाए। यूं तो आज के दौर में महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। हमारे बीच ऐसी ही एक महिला हैं जिनका नाम है भारती रंजन कुमारी। पेशे से शिक्षिका हैं। इस वर्ष उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पूरा समाज विशेष रूप से शिक्षक समाज उनको मिलने वाले पुरस्कार से गौरवान्वित है। मगर उनका यह सफर आसान नहीं रहा है। बिहार शिक्षा परियोजना हो या फिर राज्य स्तरीय शिक्षा एवं शोध परिषद दोनों जगहों उन्हें स्वयं को एक मजबूत महिला के रूप में स्थापित करने में काफी परेशानी हुई। खुद राह की बाधाओं को भारती रंजन ने बड़ी सफलता से किनारे किया। सफलता का सफर अनवरत जारी है। आज उनका समाज और उनके माता-पिता उनपर गर्व करते हैं। वह मात्र एक शिक्षिका ही नहीं समाजसेवा के लिए सदैव तत्पर रहनेवाली महिला हैं।

महिलाओं के सम्मान की लड़ी लड़ाई

समाज मे महिलाओं को सम्मान मिले इसकी लड़ाई भारती लगातार लड़ रही हैं। शांति के साथ जीवन के लक्ष्य की तरफ बढ़ते उनके कदम समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के अलावा दहेज, बाल मजदूरी ,बाल विवाह और अन्याय के खिलाफ सदैव आवाज बुलंद करती हैं।

बच्चों के पालन-पोषण के साथ पूरी की स्वयं की पढ़ाई

भारती ने शादी के बाद अपने बच्चों के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की। पब्लिक स्कूलों में पढ़ाया। आकाशवाणी से जुड़कर अपना संदेश लोगों तक पहुंचाती रही। सरकारी विद्यालय से जुड़ने के बाद ही अपनी योग्यता एमए और एमएड होने के कारण सैकड़ों अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद और बिहार शिक्षा परियोजना से जुड़कर पाठ्यपुस्तक निर्माण में योगदान दिया। जब कोरोना काल में लोग अपने-अपने अपने घरों में बंद थे तब बिना कुछ परवाह किए तत्परता से देश सेवा में लगी रहीं।

शिक्षक एक नेतृत्वकर्ता भी होता

भारती बताती हैं- एक शिक्षक एक नेतृत्वकर्ता भी होता है, उसमें बुराइयों से लड़ने और अच्छाइयों को फैलाने का मुख्य गुण होता है। इसके लिए जरूरी है कि एक महिला जब शिक्षा के क्षेत्र में उतरे तो पूरी ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करे।

बोले माता-पिता - गर्व है हमें हमारी पुत्री पर

दरभंगा जिले के सिमरी प्रखंड के बहेडी निवासी उदयकांत शर्मा व मां भागीरथी देवी को अपनी पुत्री पर गर्व है। पुत्री की शादी 1999 में हुई। शादी के बाद जब परेशानी बढ़ी तो बेटी को साथ लिया और उसे आगे बढ़ने का अवसर दिया। बेटी ने भी हमारे कर्तव्यों को सिद्ध कर दिया, जिस पर मुझे गर्व है उदयकांत शर्मा। 

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