मिथिला विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा संयंत्र से पहुंच रहा फायदा, लाखों रुपये की हो रही बचत

Darbhanga News विवि में 275 केवी वॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित बिजली विभाग के ग्रिड को हर माह लगभग 25 केवी वॉट दी जा रही बिजली उद्घाटन काल से लेकर अब तक 15 हजार यूनिट बिजली यानि एक लाख रुपये का सौर ऊर्जा से हुआ बचत।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 04:15 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 04:15 PM (IST)
मिथिला विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा संयंत्र से पहुंच रहा फायदा, लाखों रुपये की हो रही बचत
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में सौर उर्जा संयंत्र।

दरभंगा, {प्रिंस कुमार}। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विकास के लिए बिहार और भारत सरकार लगातार काम कर रही है। इस दिशा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 में पचास किलो वाट के सौर उर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया था। इसके बाद 2020 में 225 यानि कुल 275 किलो वाट सौर उर्जा संयंत्र विवि में संचालित है। संयंत्र विवि मुख्यालय स्थित परीक्षा भवन की छत पर लगाए हैं। बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार की सहभागिता से मिथिला विश्वविद्यालय को तीन सौ किलो वाट के सौर उर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए एक करोड़ 30 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी। इसके तहत प्रथम चरण में 50 केवी वाट और दूसरे चरण में 225 केवी वाट के सौर ऊर्जा संयंत्र चालू हैं। बिहार सरकार के उपक्रम बिहार रिन्युएबल डेवलपमेंट एजेंसी (ब्रेडा) को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। विवि ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अब तक 15 हजार यूनिट बिजली की बचत की है। इससे एक लाख रुपये का बिजली बिल क्षेत्र में बचत हुआ है।

ग्रिड को जाती सोलर उत्पादित बिजली

वर्तमान में विश्वविद्यालय के भवनों पर 375 केवी वॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र इंस्टॉल है। विवि सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली खपत के बाद शेष बचत बिजली सीधे बिजली विभाग के ग्रिड को चली जाती है। इसका सीधा फायदा विवि को मिलता है। 2019 से लेकर अब तक बिजली विभाग के ग्रिड को सोलर संयंत्र से उत्पादित 15 हजार यूनिट बिजली दी गई है। इससे लगभग एक लाख रुपये का बचत दर्ज किया गया है। बता दें कि विवि स्थित सौर ऊर्जा संयंत्र आन ग्रिड रहता है। यानि जब विवि बंद रहती है, तो भी सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली सीधे ग्रिड को जाती है। जिसका पूरा लेखा जोखा बिजली विभाग के पास रहता है।

बिजली बिल से मुक्त हो जाएगा विश्वविद्यालय

विवि में सौर उर्जा संयंत्र से जो बिजली उत्पादित होती है, वह बिजली विभाग के ग्रिड को जाती है। जितनी बिजली विवि सौर उर्जा से उत्पादन कर बिजली विभाग को देती हैं, बिल में उतनी बिजली को घटा कर शेष बिजली का ही बिल दिया जाता। वर्तमान में विश्वविद्यालय प्रति माह करीब पांच से छह लाख रुपये बिजली मद में खर्च कर रहा है। अबतक, 275 केवी बिजली उत्पादन से विवि को करीब एक लाख रुपये की बचत हुई।

---ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में सोलर पैनल द्वारा पैदा होने वाली बिजली का मेजरमेंट नेट मीटरिंग के माध्यम से होता है। विवि स्थित सोलर प्लांट से ग्रिड में जाने वाली बिजली का पूरा हिसाब बिजली विभाग के पास मौजूद है। विवि को भेजे गए बिजली बिल में इसे दर्शाया गया है।- गौरव कुमार, सहायक विद्युत अभियंता, विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल दरभंगा शहरी।

chat bot
आपका साथी