जिले के चार बड़ी नदियों में विषाक्त जल से जीवाणु संक्रमण अधिक

बेतिया। जिले के रामनगर में रामरेखा बगहा में हरहा नरकटियागंज में हड़बोड़ा एवं लौरिया में सिकरहा नदी का जल प्रदूषित है। इन नदियों का जल जीवाणु संक्रमित है। ये संक्रमण चीनी मिलों के विषक्त जल की वजह से नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 05:14 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 05:14 PM (IST)
जिले के चार बड़ी नदियों में विषाक्त जल से जीवाणु संक्रमण अधिक
जिले के चार बड़ी नदियों में विषाक्त जल से जीवाणु संक्रमण अधिक

बेतिया। जिले के रामनगर में रामरेखा, बगहा में हरहा, नरकटियागंज में हड़बोड़ा एवं लौरिया में सिकरहा नदी का जल प्रदूषित है। इन नदियों का जल जीवाणु संक्रमित है। ये संक्रमण चीनी मिलों के विषक्त जल की वजह से नहीं है। बल्कि घरेलू पानी की वजह से नदियों के जल में टोटल कॉलीफार्म एवं फिकल कॉलीफार्म मानक से अधिक है, जो जीवाणु संक्रमण को दर्शाता है। ये हम नहीं कर रहे हैं, यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की रिपोर्ट है। वह भी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रतिवर्ष कराई गई जांच का प्रतिवेदन है। जबकि सच्चाई आम लोगों के सामने है। आम लोगों के घरों से निकले गंदे पानी का स्तर और चीनी मिलों से निकले जल का पैमाना। दरअसल, मामला यह है कि सिकटा के विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न किया। उसका जवाब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने दिया है।

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सिकटा विधायक का सवाल

क्या यह सही बात है कि जिले के चीनी मिलों की रसायनयुक्त पानी नदियों में बहाया जाता है। नरकटियागंज में हड़बोड़ा, रामनगर में रामरेखा, लौरिया में सिकरहना एवं बगहा में हरहा नदी में संबंधित चीनी मिलों का विषाक्त जल बहाया जाता है, जिससे नदी के तट पर बसी सैकड़ों गांव जनता प्रदूषित पानी के कुप्रभाव व मच्छरों के प्रकोप से तबाह होती है। यदि हां तो सरकार इस पर रोक लगाने की विचार रखती है और नहीं तो क्यों?

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मंत्री का जवाब

बगहा, हरिनगर, नरकटियागंज एवं लौरिया चीनी मिलों में औद्योगिक बहिस्त्राव के उपचार के लिए बहिस्त्राव उपचार संयंत्र लगा है, जो पेराई सीजन में चालू रहता है। इसकी जांच बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के अतिरिक्त केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की थर्ड पार्टी एजेंसी से कराई जाती है। इन नदियों के जल नमूनों में डीओ (घुलित ऑक्सीजन) एवं बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड)जैसे पारामीटर मानक के अधीन हैं। घरेलू बहिस्त्राव के कारण जीवाणु संक्रमण है।

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