रेलवे जंक्शन व सदर अस्पताल परिसर से बिना जांच कराए चले गए तीन सौ यात्री

कोरोना जांच व मास्क को लेकर लोग अब भी गंभीर नहीं हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 01:39 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 01:39 AM (IST)
रेलवे जंक्शन व सदर अस्पताल परिसर से बिना जांच कराए चले गए तीन सौ यात्री
रेलवे जंक्शन व सदर अस्पताल परिसर से बिना जांच कराए चले गए तीन सौ यात्री

मुजफ्फरपुर : कोरोना जांच व मास्क को लेकर लोग अब भी गंभीर नहीं हैं। इसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। सदर अस्पताल व रेलवे जंक्शन पर लाइन में लगे तीन सौ से अधिक लोग बिना कोरोना जांच कराए वापस लौट गए। गुरुवार को नौ बजे से शाम तीन बजे तक सदर अस्पताल में कोरोना जांच कराने वालों की लोगों की भीड़ लगी रही। जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल लाइन में लगे दर्जनों लोगों की जांच नहीं हो सकी। जबकि अत्यधिक भीड़ देखकर दर्जनों लोग बिना कोरोना जांच कराए वापस लौट गए। यही हाल रेलवे जंक्शन पर बने कोरोना जांच केंद्र का रहा। लोग भीड़ देख वापस लौट रहे हैं। जंक्शन पर स्वास्थ्य कर्मियों के पास ग्लब्स नहीं होने के कारण करीब एक घंटे तक कोरोना जांच बाधित रहा। सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कर्मियों को ग्लब्स उपलब्ध कराया गया। जिसके बाद लोगों का कोरोना जांच फिर से शुरू हो सका। इस दौरान करीब एक सौ से ज्यादा लोग बिना जांच वापस हुए। सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने कहा कि जांच व इलाज में लगे लोगों को हर दिन मास्क, ग्लब्स मिलना चाहिए। किस तरह स्तर पर खामी है उसका निदान होगा। उन्होंने प्रबंधन में लगे लोगों को हिदायत दी है कि हर जांच और वैक्सीन सेंटर पर जाकर जरूरी सामान की आपूर्ति करें ताकि चिकित्सक व कर्मियों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।

संक्रमण से बचाने के लिए शिक्षकों की उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त हो

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की गई है। टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट के जिला मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को ईमेल भेजकर यह अनुरोध किया है।

कहा कि पूरे देश में कोरोना महामारी का संक्रमण फैला हुआ है। इस कारण सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाएं बाधित है। एहतियात के तौर पर बिहार के सभी शिक्षण संस्थान 15 मई तक बंद किए गए हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग घर में रहने को विवश हैं। शिक्षा विभाग ने सभी बच्चों के लिए पठन-पाठन बंद कर दिया है। जबकि विद्यालय में पदस्थापित 33 फीसद शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य की गई है। उन्होंने इसकी अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है।

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