भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करेगा मधुबनी के कुमरखत गांव से मिले शिलालेख का अध्ययन

सहायक अधीक्षण पुरालेखविद डॉ. अर्पिता रंजन ने संग्रहालय पहुंच शिलालेख का किया अवलोकन। कुमरखत गांव में 25 मई को मिट्टी खुदाई के दौरान मिला था शिलालेख। डीएम के निर्देश पर 10 जून को शिलालेख महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय को सौंपा गया।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 11:47 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 11:47 AM (IST)
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करेगा मधुबनी के कुमरखत गांव से मिले शिलालेख का अध्ययन
शिलालेख के अध्ययन से मिथिला के इतिहास के नए तथ्य आएंगे सामने। फोटो- जागरण

मधुबनी, जासं। लदनियां प्रखंड के कुमरखत गांव से 25 मई को मिले शिलालेख का अध्ययन किया जा रहा है। इस शिलालेख का अध्ययन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करा रहा है। इस शिलालेख के अध्ययन से कई अहम ऐतिहासिक तथ्य सामने आने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल यह शिलालेख दरभंगा स्थित महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में संरक्षित है। संग्रहालय के अनुरोध पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली के सहायक अधीक्षण पुरालेखविद् डॉ. अर्पिता रंजन ने मंगलवार को संग्रहालय पहुंच कर उक्त शिलालेख का छाप एवं चित्र लिया गया। डॉ. मिश्र ने आशा व्यक्त करते हुए बताया कि अब इसका अध्ययन हो सकेगा और मिथिला के इतिहास मे एक नया तथ्य जुड़ सकेगा। शिलालेख मिथिलाक्षर मे अंकित है और इसका आकार 84x23x15 सेमी. है, जबकि अभिलेख 50x8 सेमी. में अंकित है। इस कार्य में दीर्घा सहायक चंद्र प्रकाश, शोध छात्रा पूर्णिमा कुमारी एवं अन्य कर्मचारियों ने सहयोग किया।

बता दें कि लदनियां प्रखंड अंतर्गत कुमरखत गांव में मिट्टी खुदाई के दौरान बीते 25 मई को अनेक पुरावशेष मिले थे। इस क्रम मे ग्रेनाइट पत्थर का एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ था। काफी जद्दोजहद के बाद जिलाधिकारी अमित कुमार के निर्देश पर लदनियां थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह एवं बीडीओ अखिलेश्वर कुमार ने 10 जून को यह शिलालेख महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में जमा कराया। संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय की ओर से 11 जून को एक पत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इपीग्राफी शाखा, मैसूर के निदेशक को भेज कर उक्त शिलालेख को पढवाने का आग्रह किया गया था। इसकी प्रति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली के संयुक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल को भी भेजकर आग्रह किया गया था। डॉ. मंजुल के निदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से सहायक अधीक्षण पुरालेखविद् डॉ. अर्पिता रंजन शिलालेख का अवलोकन करने संग्रहालय पहुंची है। अब इस शिलालेख में छिपे तथ्यों के सामने आने की संभावना तेज हो गई है।

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