मधुबनी में पानी में डूबे बच्चे की इलाज के अभाव में मौत होेने का आरोप, स्वजनों का हंगामा

बिस्फी प्रखंड के मोतनाजे गांव में खेलने के दौरान नदी में गिर गया था दो साल का बच्चा। बच्चे को लेकर स्वजन पहुंचे बिस्फी पीएचसी तो ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक मिले नदारद। बच्चे की मौत होते ही स्वजनों व ग्रामीणों ने पीएचसी पर जमकर काटा बवाल।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 01 Nov 2021 09:31 AM (IST) Updated:Mon, 01 Nov 2021 09:31 AM (IST)
मधुबनी में पानी में डूबे बच्चे की इलाज के अभाव में मौत होेने का आरोप, स्वजनों का हंगामा
ड्यूटी से गायब चिकित्सक पर कार्रवाई के लिए सीएम को लिखा पत्र। फोटो- जागरण

बिस्फी (मधुबनी), जासं। यह बात सही है कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं कम हैं, लेकिन इमरजेंसी की स्थिति में तुरंत इलाज मिल जाए तो स्थिति बेहतर हो सकती है। बावजूद, आपातकालीन कक्ष के डॉक्टर ही लापता हों तो ऐसे में प्रथम उपचार से भी वंचित मरीज की मौत के बाद पीड़ित स्वजनों का आक्रोश भी लाजिमी हो जाता है। ऐसा ही एक मामला बिस्फी प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है। नदी के पानी में डूबे एक बच्चे की मौत से जुड़े मामले में चिकित्सक के द्वारा इलाज समय पर नहीं किए जाने से आक्रोशित स्वजनों ने अस्पताल में काफी बवाल काटा। जिस कारण अस्पताल परिसर में घंटों अफरातफरी का माहौल बना रहा।

बता दें कि अस्पताल से सटे मोतनाज़े गांव निवासी लक्ष्मण यादव के दो वर्षीय एकलौता पुत्र आदित्य राज खेलने के क्रम में अपने दरवाजे से सटे नदी के पानी में लुढ़क गया। तत्क्षण ही उसके माता-पिता आनन-फानन में उसे बिस्फी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए लेकर पहुंचे, लेकिन रोस्टर ड्यूटी में तैनात चिकित्सक के लापता रहने के कारण उस बच्चे का प्राथमिक उपचार तक नहीं हो सका। जिससे उसकी मौत अस्पताल में ही हो गई। चिकित्सक द्वारा समय पर इलाज नहीं किए जाने के कारण हुई मौत की खबर सुनकर आसपास के सैकड़ो लोग अस्पताल परिसर में पहुंचकर घंटों तक हो हंगामा एवं मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। घटना की सूचना मिलते ही बीडीओ मनोज कुमार, थानाध्यक्ष संजय कुमार एवं बीएसओ मुकेश कुमार सदल-बल के साथ अस्पताल पहुंचकर शांति व्यवस्था बहाल करने का प्रयास किया। हालांकि, अस्पताल की चरमराई कुव्यवस्था को लेकर आक्रोशित लोग प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। समाजसेवी ललन यादव ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में समय पर न चिकित्सक आते हैं, न ही स्वास्थ कर्मियों की मौजूदगी अस्पताल में रहती है। यही वजह है कि अस्पताल की स्थिति बदतर हो गई है।

लापरवाह चिकित्सक के खिलाफ सीएस को लिखे जाने के बाद शांत हुआ मामला

जिस समय बच्चे को अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया, उस समय आयुष चिकित्सक डॉ. हैदर अली की ड्यूटी आपातकालीन कक्ष में थी। लेकिन, डॉ. हैदर अपने कर्तव्य पर मौजूद नहीं थे। आक्रोशित लोग ड्यूटी से लापता चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मो. मेराज अकरम के द्वारा अनुपस्थित चिकित्सक के खिलाफ सिविल सर्जन को लिखें जाने पर मामला शांत हुआ। थानाध्यक्ष ने बताया कि बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है। 

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