जाप सुप्रीमो सह पूर्व सांसद पप्पू यादव का आरोप, खाकी-खादी के सरंक्षण में सूबे में बिक रही शराब

उन्होंने सरकार के मंत्री व पुलिस प्रशासन समेत अन्य आलाधिकारियों पर चुपचोरी से शराब पीने का आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की। साथ ही उन सभी की संपत्ति की जांच कराने की भी मांग की ।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 09:22 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:11 PM (IST)
जाप सुप्रीमो सह पूर्व सांसद पप्पू यादव का आरोप, खाकी-खादी के सरंक्षण में सूबे में बिक रही शराब
मिलावटी शराब से मौत मामले में उच्चस्तरीय जांच व पीडि़तों को मुआवजा देने की मांग की।

मुजफ्फरपुर, जासं। सूबे की सरकार की नाकामी एवं खाकी व खादी के संरक्षण में बिहार में बिक रही शराब जिसमें सत्ता पक्ष की भूमिका अहम है। शराब धंधेबाजों से मिलकर कुछ वरीय पदाधिकारी भी मालामाल हो रहे हैं। यें बातें जाप सुप्रीमो सह पूर्व सांसद पप्पू यादव ने माधोपुर सुस्ता में कहीं। उन्होंने सरकार के मंत्री व पुलिस प्रशासन समेत अन्य आलाधिकारियों पर चुपचोरी से शराब पीने का आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की। साथ ही उन सभी की संपत्ति की जांच कराने की भी मांग की। 

मिलावटी शराब से मौत मामले में उच्चस्तरीय जांच व पीडि़तों को मुआवजा देने की मांग की। माधोपुर गिद्धा में मृतक गुड्डू साह के स्वजनों से मिलकर सांत्वना देते हुए उनके अबोध पुत्र के दिल में छेद व हॢनया का इलाज कराने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। मृतक की पत्नी को उन्हें नकद सहायता भी दी। मौके से ही वरीय पुलिस पदाधिकारियों से बात कर उचित कार्रवाई व 10 लाख मुआवजा दिलाने की पहल की बात कही। इस दौरान मुकेश कुमार शर्मा, उमेश कुमार राज, मनोज पासवान आदि मौजूद थे।

एप्रोच पथ का अवरोध बरकरार, आथर पुल का वर्षों से इंतजार

छह साल में भी पूर्ण नहीं हो सका निर्माण, इसवर्ष भी बाढ़ में लोगों को लेना होगा नाव का सहारा

मुजफ्फरपुर: आथर पुल के एप्रोच पथ के अवरोध को हटाने में पूरी तरह विफल रहा पुल निर्माण निगम। दो सप्ताह पूर्व विभाग के सहायक अभियंता, सीओ बोचहां व मुशहरी पुलिस ने दलबल के साथ स्थल पर जाकर अवरोध को समाप्त करने का प्रयास किया, लेकिन सफल नही हुए। भूधारियों के आक्रोश को देखते हुए एक सप्ताह का समय देकर सभी लौट गए। उसके बाद से अधिकारी सो गए जिस कारण अवरोध जस का तस बना हुआ है। एक ही जमीन का कई लोगों के नाम भू स्वामित्व प्रमाण पत्र निर्गत होने से पेच फंस गया है। इस मामले में परती जमीन को भीठ व भीठ जमीन को बास की जमीन का भी खेल हुआ। ऐसा भी मामला सामने आया कि जिसकी जमीन नहीं पड़ी, वे भी मुआवजा लेने में सफल रहे। जो असल हकदार हैं, वे पुल निगम का चक्कर लगा रहे हैं। इस चक्कर में आथर गांव की निरीह जनता को सजा भुगतना पड़ रहा है । एप्रोच पथ के निर्माण की जो गति है उससे यही लगता है कि इस वर्ष भी वहां के लोगों को बाढ़ के समय में नाव ही मुख्य सहारा होगा। ग्रामीण संजीव कुमार ,नवल महतो ,मनोज पाठक आदि ने बताया कि बाढ़ के समय नदी पार उतरने में 50 रुके प्रति ट्रिप खर्च देना पड़ता है । सरकार के करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी लोगों को अबतक आवागमन की सुविधा नहीं मिल रही है। इस संबंध में सहायक अभियंता मुकेश कुमार ने बताया कि कुछ लोगों का आरोप था कि भीठ के बदले आवासीय का भुगतान किया गया है। उसकी जांच व सही जानकारी मिल गई है। मार्च के अंत तक कार्य पूर्ण होने की संभावना है।

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