चुटकी भर सिंदूर की ताकत का दरभंगा की महिला ने दुनिया को कराया एहसास
19 वर्ष पहले तीन बच्चे व पत्नी को बिनाा बताए घर से निकल गए थे कैलाश मुखिया। लुधियाना के एक ढाबे पर भिक्षाटन के दौरान भतीजे ने आवाज से की पहचान। घर लौटने पर मां की भीगीं पलकें।पत्नी देर तक निशब्द निहारती रहीं।
दरभंगा, [मुकेश कुमार श्रीवास्तव]। प्रकृति के खेल भी निराले हैं। 19 साल पहले कोई अपनाेें से बिछड़ गया। अलगाव ऐसा कि उसे एहसास भी नहीं रहा कि वे तीन बच्चे और पत्नी को छोड़कर आए हैंं। यूं तो उन्हें तलाशने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन सब बेकार हो गया। बात हो रही है दरभंगा के सोनकी निवासी जगदेव मुखिया के पुत्र कैलाश की।
देखने के लिए लगी लोगों की भीड़
19 वर्ष पहले बिना किसी को बताए घर से गायब होनेवालेे कैलाश जब बुधवार को घर पहुंचे तो उनकी पत्नी रंजना देवी कुछ क्षण तक उन्हें सजल नेत्रों से नि:शब्द निहारती रहीं। वह कभी उनको, कभी घर को देखती रहीं। बाद में घर के अन्य सदस्यों ने उन्हें दरवाजे से हटाया और कैलाश को अंदर बुलाया। कुछ ही देर में कुदरत के इस कमाल को देखने के लिए लोगों की भीड़ जगदेव के घर जमा हो गई। हर कोई इस चमत्कार को नमस्कार करना चाह रहा था। सोनकी निवासी जगदेव के तीन पुत्रों में कैलाश मुखिया एक हैं। वर्ष 2001 में कैलाश अचानक घर छोड़कर निकल गए थे। स्वजनों ने काफी खोजबीन की। लेकिन, कोई पता नहीं चल पाया। उस समय कैलाश को छोटे-छोटे एक पुत्र और दो पुत्रियां थीं।
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तंगहाली और एकाकीपन ने कर दिया बीमार
फटेहाली में अकेले जीवन गुजारते गुजारते कैलाश मानसिक रूप से बीमार हो गए। इस दौरान भिक्षाटन करके गुजारा करने लगे। समय का पहिया घूमता रहा। 19 साल बाद वह वक्त आया जिसने कैलाश के दामन को खुशियों से भर दिया। भीख मांगने के क्रम में वे लुधियाना के एक ढाबे में गए। कहा- बाबू, दो रोटी दे दो। प्रकृति का चमत्कार देखें, उसी ढाबे पर उनका भतीजा बजरंगी भी था। यह आवाज जब बजरंगी के कानों में पड़ी तो उसे परिचित लगी। वह बिना समय बर्बाद किए बाहर निकला तो देखा कि उसके चाचा फटेहाल अवस्था में खड़़े़े हैं। दोनों चाचा-भतीजा गले लग गए। बजरंगी के दिल ने एक सवाल किया, वह जिसे चाचा मान रहा वे हकीकत में वहीं हैं क्या? तसल्ली के लिए उसने तकनीक का सहारा लिया। एक तस्वीर ली और घर भेजी। माता-पिता और दादी से उसकी तस्दीक कराई। पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद बजरंगी अपने चाचा को लेकर उनके पुत्र लालू मुखिया के पास गया।
आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा
बुधवार को कैलाश को लेकर बजरंगी और लालू सोनकी ओपी क्षेत्र के गोढ़िया गांव स्थित अपने घर पहुंचे तो खुशियां छा गईं। कैलाश की मां नुनु देवी अपने खोए बेटे को पाकर निहाल हो गईं। उनको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। कैलाश के शादीशुदा पुत्र लालू, पुत्री पूजा और मुन्नी अपने पिता से लिपट गए। कैलाश के बड़े भाई रघु और छोटे कामेश्वर मुखिया ने गले लगाकर खुशी का इजहार किया।
पत्नी ने कहा- सोचा नहीं था लौटकर आएंगे
कैलाश की पत्नी रंजना देवी ने कहा कि पति के गायब होने का दर्द कोई मुझसे पूछे। गरीबी की हालत में मजदूरी कर छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन किया। शादी विवाह तक कराया। कहा, मैं उनके लौटने की उम्मीद भी हार चुकी थी। वह इतना भावुक हो गईं कि फफक-फफक कर रोने लगीं। कहा- किस्मत ऐसी दूरी किसी को भी न दे। कैलाश के भाई अभी उन्हें गांव घर की गलियों और सड़कों पर घुमा घुमाकर पुरानी चीजों को याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।